अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के खिलाफ दलील रखने वाले व्याख्याता का निलंबन तो बस शुरुआत है - महबूबा मुफ्ती
पीडीपी राजनीतिक दल की नेता महबूबा मुफ्ती ने एक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में एक शिक्षक को अस्थायी रूप से काम करने
05:11 PM Aug 28, 2023 IST | Alok Kumar Mishra
पीडीपी राजनीतिक दल की नेता महबूबा मुफ्ती ने एक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में एक शिक्षक को अस्थायी रूप से काम करने से रोक दिया गया था क्योंकि उन्होंने अनुच्छेद 370 नियम के बारे में एक बहुत ही महत्वपूर्ण अदालती मामले में अपनी राय दी थी। मुफ्ती ने सोमवार को तंज कसते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने से संबंधित मामले में उच्चतम न्यायालय में दलील पेश करने वाले जम्मू कश्मीर शिक्षा विभाग के एक व्याख्याता का निलंबन तो केवल एक शुरुआत है। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने वरिष्ठ व्याख्याता जहूर अहमद भट को ‘जम्मू कश्मीर सिविल सेवा विनियमन, जम्मू कश्मीर सरकार कर्मचारी नियम, 1971, जम्मू कश्मीर अवकाश नियम’ के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर निलंबित कर दिया। वह कुछ दिन पहले ही अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने के खिलाफ एक पक्ष के रूप में उच्चतम न्यायालय में पेश हुए थे।
Advertisement
यह तो बस शुरुआत है
उन्हें श्रीनगर में उनके पदस्थापना वाले स्थान से हटाकर स्कूल शिक्षा निदेशक, जम्मू के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया, वहीं उनके आचरण के मामले में गहन जांच के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति की गयी। महबूबा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘यह तो बस शुरुआत है। अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर की जनता को चुनना होगा। या तो वे मूकदर्शक बने रहकर अपनी रोजी-रोटी, नौकरी और जमीन छिनते हुए देखें या आवाज उठाने का अंजाम भुगतें। हर कश्मीरी उच्चतम न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटा सकता।
निलंबन का मुद्दा उठाया था
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में भट के निलंबन का मुद्दा उठाया था। उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मामले में विचार करने को कहा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने शीर्ष अदालत में इस मुद्दे को उठाने के लिए सिब्बल का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जहूर भट का मसला उच्चतम न्यायालय में उठाने के लिए कपिल सिब्बल का शुक्रगुजार हूं। जहूर व्याख्याता हैं जिन्हें पांच अगस्त, 2019 के घटनाक्रम के खिलाफ संविधान पीठ के सामने उनकी याचिका पर दलीलें रखकर घाटी में लौटते ही निलंबित कर दिया गया।
Advertisement