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उत्तर प्रदेश : घोसी उपचुनाव को लेकर मुकाबला दिलचस्प, सपा प्रचार के लिए मैदान में कूदा सैफई परिवार

उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा का उपचुनाव बड़े दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। सत्तारूढ़ और विपक्ष दोनों ने ही चुनाव जीतने की जोर आजमाइश कर रखी है।

03:57 PM Aug 30, 2023 IST | Uday sodhi

उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा का उपचुनाव बड़े दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। सत्तारूढ़ और विपक्ष दोनों ने ही चुनाव जीतने की जोर आजमाइश कर रखी है।

उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा का उपचुनाव बड़े दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। सत्तारूढ़ और विपक्ष दोनों ने ही चुनाव जीतने की जोर आजमाइश कर रखी है। इस चुनाव की सबसे खास बात यह है कि इसमें विपक्षी दल सपा प्रचार के लिए सैफई परिवार भी मैदान में कूद पड़ा है।
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रामगोपाल खुद भी पहुंचे  अखिलेश 
राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक घोसी उपचुनाव से देश में बड़ा संदेश जाएगा और विपक्ष की तरफ से बने इंडिया गठबंधन में यूपी की तरफ से मजबूत भूमिका निभा रहे अखिलेश यादव की परीक्षा है, इसीलिए इस उपचुनाव में पूरे यादव कुनबे ने अपनी ताकत झोंक दी है।
यहां पर पहले से मोर्चा संभालने के लिए संगठन माहिर शिवपाल को चुनाव में लगाया। इसके बाद रामगोपाल फिर खुद अखिलेश भी पहुंचे हैं। सियासी जानकर प्रसून पांडेय कहते हैं 2017 से लेकर अब तक कई उपचुनाव हो चुके है। उसमें न तो अखिलेश, न ही उनका परिवार इतना सक्रिय रहा है, जितना घोसी में दिख रहा है। एक मैनपुरी को छोड़कर इतनी सक्रियता देखने को नहीं मिली है। उसका परिणाम भी सकारात्मक रहा है।
सैफई के बाद पूरे परिवार के साथ घोसी मैदान में कूदे 
आजमगढ़ में परिवार के सदस्य धर्मेंद्र यादव जब मैदान में थे सपा। सपा मुखिया डिमांड के बावजूद नहीं पहुंचे थे। पांडेय ने बताया कि ऐसे ही, चाहे गोला या खतौली, स्वार और छानबे में उपचुनाव, अखिलेश यादव प्रचार के लिए नहीं गए। रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में एक दिन प्रचार के लिए गए थे। पार्टी को वहां हार का सामना करना पड़ा था। पांडेय ने कहा कि शायद मैनपुरी उपचुनाव से अखिलेश को सबक मिला हो, इसी कारण उन्होंने पूरे परिवार को घोसी चुनाव में मैदान में उतारा है।
एक अन्य विश्लेषक अमोदकांत मिश्रा कहते हैं कि घोसी उपचुनाव इंडिया और एनडीए दोनों गठबंधन के लिए नाक का सवाल बना हुआ है। भाजपा हर बार की तरह इस बार चुनाव को बहुत सीरियस ढंग से लड़ रही है। उसने अपने मंत्रियों की फौज को उतार रखा है। जबकि इस बार कांग्रेस और बसपा के मैदान में न होने से मुकबला भाजपा और सपा के बीच है। इस चुनाव को अखिलेश ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा है। सैफई के बाद पूरे परिवार के साथ घोसी मैदान में कूदे है।
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