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कर्नाटक: उडुपी में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वालीं दोनों लड़कियां बिना परीक्षा दिए घर लौटीं

कर्नाटक के उडुपी जिले में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती देने वाली दोनों छात्राएं शुक्रवार को बिना परीक्षा दिए ही अपने घर लौट आईं।

02:01 PM Apr 22, 2022 IST | Desk Team

कर्नाटक के उडुपी जिले में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती देने वाली दोनों छात्राएं शुक्रवार को बिना परीक्षा दिए ही अपने घर लौट आईं।

कर्नाटक के उडुपी से शुरू हुआ हिजाब विवाद काफी गहमागहमी के बाद थोड़ा शांत हुआ। अब इस मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। दरअसल, कर्नाटक के उडुपी जिले में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती देने वाली दोनों छात्राएं शुक्रवार को बिना परीक्षा दिए ही अपने घर लौट आईं। इन दोनों छात्राओं को हिजाब पहनकर परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गयी, जिसके बाद दोनों ही अपने-अपने घर लौट आईं।  
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कर्नाटक के 1,076 केंद्रों पर 6.84 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं परीक्षा देंगे 
कर्नाटक के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में शुक्रवार से परीक्षाएं शुरू हो गईं, जो 18 मई तक चलेंगी। पहली परीक्षा बिजनेस स्टडीज की थी। राज्य भर के 1,076 केंद्रों पर 6.84 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं परीक्षा देंगे। आलिया और रेशम नामक दो लड़कियां बुर्का पहनकर एक ऑटो-रिक्शा में परीक्षा केंद्र पर पहुंचीं। दोनों लड़कियों ने जोर देते हुए कहा कि उन्हें हिजाब पहनकर परीक्षा लिखने की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन कॉलेज के अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें परीक्षा कक्ष में प्रवेश देने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों ही छात्राएं घर लौट गईं।  
सीएफआई द्वारा शहर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया  
उडुपी के एक कॉलेज की छह छात्राओं ने एक जनवरी को कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) द्वारा शहर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया था और कॉलेज के अधिकारियों द्वारा उन्हें हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश से वंचित करने का विरोध किया था। यह मामला धीरे-धीरे एक बड़े विवाद में तब्दील हो गया था। इसके बाद लड़कियों ने हिजाब पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।  
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की संपूर्ण पीठ ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के सरकारी आदेश को बरकरार रखने का फैसला सुनाया।
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