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केंद्र के इस फैसले को लेकर जम्मू-कश्मीर में बढ़ा विरोध प्रदर्शन, गुज्जर और बकरवाल हुए नाराज़

इन दिनों मणिपुर से लेकर संसद तक हर तरफ विरोध प्रदर्शन जारी है, एक तरफ मणिपुर हिंसा को लेकर और दूसरे दिल्ली में AAP के सांसद संजय सिंह के निलंबन को लेकर AAP के कार्यकर्ताओं का। लेकिन अब जम्मू कश्मीर भी इस लिस्ट में आ चुका है जहां विरोध प्रदर्शन ज़ोर पकड़ रहा है।

09:05 AM Jul 26, 2023 IST | Nikita MIshra

इन दिनों मणिपुर से लेकर संसद तक हर तरफ विरोध प्रदर्शन जारी है, एक तरफ मणिपुर हिंसा को लेकर और दूसरे दिल्ली में AAP के सांसद संजय सिंह के निलंबन को लेकर AAP के कार्यकर्ताओं का। लेकिन अब जम्मू कश्मीर भी इस लिस्ट में आ चुका है जहां विरोध प्रदर्शन ज़ोर पकड़ रहा है।

केंद्र के इस फैसले को लेकर जम्मू कश्मीर में बढ़ा विरोध प्रदर्शन  गुज्जर और बकरवाल हुए नाराज़
इन दिनों मणिपुर से लेकर संसद तक हर तरफ विरोध प्रदर्शन जारी है, एक तरफ मणिपुर हिंसा को लेकर और दूसरे दिल्ली में AAP के सांसद संजय सिंह के निलंबन को लेकर AAP के कार्यकर्ताओं का।  लेकिन अब जम्मू कश्मीर भी इस लिस्ट में आ चुका है जहां विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ रहा है।  जी हाँ गुज्जरों समेत बकरवालों का प्रदर्शन अब तेजी से बढ़ता जा रहा है क्योंकि केंद्र सरकार संसद में अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत पहाड़ी, गद्दा ब्राह्मण, कोल समेत वाल्मीकि  लोगों के लिए आरक्षण का विधेयक वाली है।
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जम्मू-कश्मीर में भी बढ़ा प्रदर्शन 
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श्रीनगर में गुज्जरों समेत बकरवालों के साथ-साथ उच्च जाति पहाड़ियों को उस अनुसूचित जनजाति को लिस्ट में शामिल करने के लिए 25 जुलाई मंगलवार के दिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा।  बता दें  प्रदर्शनकारी लगातार धमकी दे रहे हैं की अगर केंद्र सरकार  इस विधेयक को वापस लेने में अगर विफल रहती है, तो वे  प्रदर्शन को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा है की वो प्रदर्शनकारियों के साथ  सड़क पर भी उतरेंगे।  जिसमें उनका एक ही नारा बताया जा रहा है की “उनका ये संघर्ष सिर्फ जम्मू-कश्मीर में नहीं बल्कि प्रे देश के लोगों के हितो की रक्षा करना है”
दो समुदायों को आपस में लड़वाने का इरादा !
इस प्रदर्शन के एक सदस्य का कहना है की केंद्र सरकार  का उच्च जाती वाले पहाड़ी लोगों को शामिल करना वाकई उकसाने वाला है।  और आदिवासियों के खिलाफ विरोध करना है।  उसने कहा की सरकार एक समुदाय को दूसरे समुदाय के साथ लड़वाने का इरादा बना रही है।  बता दें की आदिवासियों ने केंद्र  पर गैर-आदिवासियों को एसटी का दर्जा देने के लिए आरोप लगाया है।  जहां इस विधेयक के पास होने के बाद पहाड़ी, गद्दा ब्राह्मणों और कोली को  एसटी की सूची में शामिल करने का इरादा सफल हो जायेगा।
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Nikita MIshra

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