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कैलाश मानसरोवर यात्रियों को मिला नये साल का तोहफा

उत्तराखंड सरकार ने ऐतिहासिक कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थ यात्रियों को नये साल पर तोहफा दिया है। सरकार ने यात्रियों को मिलने वाली अनुदान की राशि को दुगुना कर दिया है।

02:07 PM Jan 08, 2020 IST | Shera Rajput

उत्तराखंड सरकार ने ऐतिहासिक कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थ यात्रियों को नये साल पर तोहफा दिया है। सरकार ने यात्रियों को मिलने वाली अनुदान की राशि को दुगुना कर दिया है।

उत्तराखंड सरकार ने ऐतिहासिक कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थ यात्रियों को नये साल पर तोहफा दिया है। सरकार ने यात्रियों को मिलने वाली अनुदान की राशि को दुगुना कर दिया है। यात्रा को सम्पन्न कराने वाली कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने सरकार के इस कदम पर खुशी जतायी है। 
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त्रिवेन्द सरकार ने बुधवार को देहरादून में सम्पन्न पहले मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर मुहर लगायी है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को सरकार की ओर से नये साल से 50 हजार रुपये की धनराशि अनुदान स्वरूप मिलेगी। इससे पहले सरकार की ओर से यह धनराशि 25 हजार रुपये निर्धारित की गयी थी। 
केएमवीएन के सूत्रों के अनुसार वर्ष 2008 से सरकार कैलाश यात्रा पर जाने वाले उत्तराखंड के यात्रियों को यह धनराशि मुहैया करा रही है। वर्ष 2019 में कैलाश मानसरोबर जाने वाले उत्तराखंड के 22 श्रद्धालुओं को सब्सिडी प्रदान की गयी। 
भारत और चीन के बीच लिपूलेख दर्रे से वर्ष 1981 से कैलाश यात्रा संचालित की जा रही है। यह यात्रा हर साल जून के पहले सप्ताह से शुरू हो जाती है और 25 दिन तक चलने वाली इस दुर्गम यात्रा में हर साल 18 यात्री दल चीन के कब्जे वाले तिब्बत में कैलाश के दर्शन के लिये जाते हैं। एक दल में अधिकतम 60 यात्री ही शामिल होते हैं। इनमें अधिकांशत: सभी राज्यों से यात्री शामिल होते हैं। 
केंद्र सरकार का विदेश मंत्रालय लाटरी के माध्यम से यात्रियों का चयन करता है। इसके बाद सभी यात्रियों को यात्रा शुरू होने से चार दिन पहले दिल्ली बुलाया जाता है। इस दौरान यात्रियों को सभी प्रकार की औपचारिकताओं पूरी करनी होती है। 
इसके बाद ठीक 12 जून को विदेश मंत्रालय की ओर से कैलाश यात्रियों के पहले दल को हरी झंडी दिखाई जाती है। केएमवीएन के यात्राधिकारी श्री जीएस मनराल ने बताया कि 25 दिन की इस यात्रा में प्रति यात्री लगभग डेढ़ से पौने दो लाख रुपये खर्च आता है। चीन के कब्जे वाले तिब्बत में यात्रियों को सबसे अधिक धन खर्च करना पड़ता है। यात्रियों को वहां रहना-खाने के अलावा वाहन एवं पोर्टर पर 600 से 700 डालर अदा करने पड़ते है। 
कुमाऊं मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक अशोक जोशी ने बताया कि कैलाश की यात्रा पर जाने के लिये अधिकांश राज्य अपने यात्रियों को अनुदानस्वरूप धनराशि प्रदान करते हैं। 
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से तीर्थ यात्रियों को अनुदान की राशि मुहैया करायी जाती है। उन्होंने प्रदेश सरकार के इस कदम पर खुशी जताई और कहा कि इससे कैलाश जाने वाले प्रदेश के यात्रियों की संख्या में इजाफा हो सकेगा।
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