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बढ़ेंगी कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी की मुश्किलें? सेशन कोर्ट के आदेश को महिला अधिकारी HC में देगी चुनौती

असम के बारपेटा में जिला सत्र अदालत द्वारा जिग्नेश मेवाणी को जमानत देने के बाद अब पुलिस अधिकारी ने असम के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्थानीय अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति मांगी है।

12:00 PM May 01, 2022 IST | Desk Team

असम के बारपेटा में जिला सत्र अदालत द्वारा जिग्नेश मेवाणी को जमानत देने के बाद अब पुलिस अधिकारी ने असम के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्थानीय अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति मांगी है।

असम के बारपेटा में जिला सत्र अदालत द्वारा गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को महिला पुलिस अधिकारी पर हमला करने और छेड़छाड़ के मामले में जमानत मिल गई है, इसके बाद अब पुलिस अधिकारी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को पत्र लिखकर स्थानीय अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति मांगी है। सरमा ने कहा की “मुझे इस मामले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दुर्व्यवहार की शिकायत की गई। जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया।”
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CM सरमा को पत्र लिख मांगी यह मंजूरी 
सीएम सरमा ने आगे कहा कि बारपेटा में अदालत ने जमानत देने का फैसला सुनाया, अब पुलिस अधिकारी ने मुझे पत्र लिखकर इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जानें की अनुमति मांगी है।  उन्होंने कहा, इस केस की फ़ैल मेरे पास आ गई है और अगर मैं मंजूरी देता हूं तो वह अधिकारी सत्र अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख करेगी।” वहीं गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि उन्हें असम पुलिस ने “प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के निर्देशों का पालन करते हुए गिरफ्तार किया था।” 
PMO के निर्देश पर हुई गिरफ्तारी :मेवाणी 
मेवाणी ने गुवाहाटी में असम कांग्रेस द्वारा दिए गए एक भव्य स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पीएमओ के निर्देशों के बाद असम पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। उन्होंने कहा “मुझे असम लाने के बाद और कोकराझार अदालत से जमानत मिलने के बाद, असम पुलिस ने एक महिला पुलिस अधिकारी को बलि का बकरा बनाकर मुझे फिर से कायरतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कहा, गुजरात के एक विधायक को गिरफ्तार करने के बाद, बेरोजगारी, बिजली, किसानों और असम के अन्य पिछड़े लोगों की समस्याएं हल नहीं होगी, इसे असम के लोगों को महसूस करना चाहिए।” 
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