और घातक होगी ब्रह्मोस मिसाइल! इस नये प्लान पर कम कर रहे भारत-रूस
भारत और रूस मिलकर अब ब्रह्मोस मिसाइल को हाइपरसोनिक यानी बेहद तेज रफ्तार तकनीक से लैस करने की तैयारी में हैं. ब्रह्मोस पहले से ही भारत की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, लेकिन हाइपरसोनिक तकनीक के जुड़ने से इसकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के समय ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत पूरी दुनिया ने देखी. इसके बाद से करीब 15 देशों ने इस मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखाई है. यह मिसाइल अब और ज्यादा शक्तिशाली बनकर सामने आने वाली है.
पूर्व डीजी अतुल राणे का खुलासा
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व महानिदेशक अतुल राणे ने एक इंटरव्यू में जानकारी दी कि भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस का हाइपरसोनिक संस्करण विकसित कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल के कई वर्जन हैं और दोनों देश लगातार इन तकनीकों में सुधार कर रहे हैं.
ब्रह्मोस का निर्माण और साझेदारी
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस का संयुक्त प्रोजेक्ट है. इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है. इसमें भारत के DRDO की 50.5% और रूस की NPO Mashinostroyenia की 49.5% हिस्सेदारी है. दोनों देशों के वैज्ञानिक मिलकर इसकी तकनीक को और बेहतर बना रहे हैं.
क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल?
हाइपरसोनिक मिसाइलें वो होती हैं जिनकी गति आवाज की रफ्तार से कम से कम 5 गुना अधिक होती है, यानी लगभग 6174 किमी प्रति घंटा या उससे ज्यादा.
- ये मिसाइलें उड़ान के दौरान अपनी दिशा भी बदल सकती हैं.
- इतनी तेज गति के कारण दुश्मन के रडार और एंटी-मिसाइल सिस्टम इन्हें पकड़ नहीं पाते.
- ये पारंपरिक और परमाणु वॉरहेड दोनों ले जा सकती हैं.
- दुश्मन को प्रतिक्रिया देने का समय तक नहीं मिलता.
ब्रह्मोस की खास विशेषताएं
- गति: Mach 2.8 से 3.0 (आवाज की गति से करीब तीन गुना तेज)
- रेंज: 450 से 800 किलोमीटर तक
- वॉरहेड क्षमता: लगभग 3 टन तक
- लॉन्च प्लेटफॉर्म: हवा, जमीन और समुद्र — तीनों से लॉन्च की जा सकती है.
- सटीकता (CEP): 1 से 2 मीटर तक, यानी बेहद सटीक निशाना.
- रडार से बचाव: यह कम ऊंचाई पर उड़ सकती है, जिससे दुश्मन के रडार से बच निकलती है.
- डिफेंस सिस्टम भेदने की क्षमता: दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को पार कर सकती है.
रक्षा मंत्री ने जताया गर्व
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ब्रह्मोस मिसाइल की खूब तारीफ की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ तनाव के समय इस मिसाइल ने अहम भूमिका निभाई थी और भारत को शानदार सफलता मिली थी. हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि उस समय किस वर्जन का इस्तेमाल किया गया था.
दुनियाभर में बढ़ रही मांग
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि अब तक 15 देश ब्रह्मोस को खरीदने में दिलचस्पी दिखा चुके हैं. हालांकि, यह मिसाइल सिर्फ उन्हीं देशों को दी जाएगी, जिन पर भारत और रूस दोनों को कोई आपत्ति न हो. इसके साथ ही एक नया, छोटा संस्करण भी तैयार किया जा रहा है, जिसे अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस कहा जा रहा है. इसका उपयोग लड़ाकू विमानों में आसानी से किया जा सकेगा.