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भारत-ऑस्ट्रेलिया की नजदी​कियां

04:28 AM Nov 23, 2023 IST | Aditya Chopra
भारत ऑस्ट्रेलिया की नजदी​कियां

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंध दिन पर दिन मजबूत होते जा रहे हैं। बहुपक्षीय मंचों और कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच साझेदारी बढ़ चुकी है। वर्ष 2020 दोनों देशों के संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने का वर्ष रहा तो 2021 संबंधों को रफ्तार और ऊर्जा देकर आर्थिक हिस्सेदारी को मजबूत करने का साल रहा। 2023 तक आते-आते दोनों के संबंध ऊंचाइयों को छूने लगे। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता से यही परिलक्षित होता है कि कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर दोनों देशों की राय समान है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के उपप्रधानमंत्री एवं रक्षामंत्री रिचर्ड मार्ल्स और विदेश मंत्री पेनी वोंग से बातचीत की। बातचीत में रक्षा व सुरक्षा, ​शिक्षा, व्यापार और निवेश, महत्वपूर्ण खनिज ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अंतरिक्ष और लोगों से लोगों के बीच संबंधों सहित कई मुद्दों पर बातचीत हुई। यह बातचीत हिन्द प्रशांत की समग्र सुरक्षा के लिए भी बेहतर साबित हुई। दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों का एक लम्बा इतिहास है। ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने गैली पोली सहित कई अभियानों में भारतीय सैकों के साथ लड़ाई लड़ी है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पेनी वोंग में गाजा युद्ध, रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत प्रशांत सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। सबसे बड़ी बात यह है दोनों ही देश चीन को बड़ी चुनौती मानते हैं और सुरक्षा के​ लिए भी चीन चिंता का कारण बना हुआ है। चीन जिस तरह से अपना प्रभुत्व जमा रहा है उससे दोनों देश खतरा महसूस कर रहे हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया एक महासागर को साझा करते हैं, इसलिए दोनों MI लकर काम करना चाहते हैं।
गतिशील वैश्विक भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक स्थिति प्रतिस्पर्धा को तेज़ कर रहा है और ये उन शक्तियों, सिद्धांतों और मूल्यों को बदल रहा है जिन पर क्षेत्रीय व्यवस्था आधारित होनी चाहिए। महामारी की बाधाओं ने ज़्यादा संपर्क, सहयोग और सह-अस्तित्व के लिए नये तरह के उत्प्रेरक बनाये हैं। विशाल इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, जिसमें कम-से-कम 38 देश आते हैं और जो दुनिया की सतह का 44 प्रतिशत हिस्सा है, में दुनिया की 64 प्रतिशत से ज़्यादा जनसंख्या रहती है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का वैश्विक जीडीपी में 62 प्रतिशत योगदान है और 50 फीसदी से ज़्यादा वैश्विक व्यापार इंडो-पैसिफिक के समुद्र से होकर गुजरता है। ये क्षेत्र विकास के मामले में बेहद असमान है जहां अलग-अलग देश विकास के अलग-अलग स्तर पर हैं। इन सभी देशों को महासागर जोड़ता है और ये शक्ति के नये केंद्र बिंदु के रूप में उभर रहा है।
चीन जिस तरह से ​िहन्द प्रशांत और दक्षिणी चीन सागर में हस्तक्षेप कर रहा है उसी से निपटने के लिए क्वाड समूह स्थापित किया गया है। क्वाड के सदस्य चारों देश भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका मुक्त और खुले भारत प्रशांत का समर्थन कर रहे हैं।
भारत आैर ऑस्ट्रेलिया की नजदीकियों के राज के कई कारण हैं। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिस कारण नजदीकियां बढ़ी हैं। दोनों देशों के कई बड़े व्यापा​िरक रणनीतिक समझौते हो चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया इंडिया स्टरैजेटिक रिसर्च और अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौते हो चुके हैं। भारत से ऑस्ट्रेलिया जाकर पढ़ने वाले छात्रों के ​लए वजीफे, फलोशिप और ग्रांट आदि के रूप में बड सु​िवधाएं दी जा रही हैं। ऑस्ट्रेलिया में भारत को लेकर जागरूकता काफी बढ़ी है। उसे महसूस हुआ कि ऑस्ट्रेलिया की आर्थिक सुरक्षा और प्रतिरोध क्षमता के लिए भारत बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है। चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। दोनों देशों के बीच वर्ष 2021 में 1.77 खरब रुपए का व्यापार हुआ था। पिछले कुछ वर्षों में देनों देशों के बीच संबंध इतने खराब हो गए कि चीन ने ऑस्ट्रेलिया के कई उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया जिनमें वाइन जैसा अहम निर्यात भी शामिल था।
चीन के प्रतिबंधों से प्रभावित ऑस्ट्रेलिया में यह बात जोरों से उठी क उसे चीन का विकल्प खोजना होगा। अंततः ऑस्ट्रेलिया ने भारत को चुना। ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख भारतीय रहते हैं। यह भारतीय टैक्स देने वाला दूसरा बड़ा अप्रवासी समुदाय है। उच्च शिक्षा और धन कमाने के मामले में यह समुदाय बाकी ऑस्ट्रेलियाई समुदायों से काफी आगे है। अप्रवासी भारतीयों ने वहां अच्छा खासा वेश किया है। इन सब कारणों के चलते ऑस्ट्रेलिया ने भारत से संंबंधों को गहरा करने का सकंल्प लिया है। दोनों देशों के बेहतर होते संबंधों को चीन समीकरणों से अलग करके देखना अच्छा होगा। दोनों देशों में रणनीतिक सहयोग काफी बढ़ चुका है। दोनों देश युक्त व्यापार समझौते पर भी काफी करीब हैं। दोनों ही आ​​र्थिक और सामाजिक चुनौतियों के साथ-साथ चीन की चुनौतियों से भी निपटने में सक्षम हो सकते हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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