Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

मणिपुर की स्थिति जटिल

मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाओं में तीन दिनों में 8 लोगों के मारे जाने और दो समुदायों में लगातार फायरिंग की घटनाओं से साफ है कि सरकार और प्रशासन हिंसा और अराजकता पर काबू पाने में विफल हो चुके हैं। हिंसा में लोकप्रिय गीतकार एस.एल. मंगबोई की मौत हो गई है।

01:11 AM Sep 03, 2023 IST | Aditya Chopra

मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाओं में तीन दिनों में 8 लोगों के मारे जाने और दो समुदायों में लगातार फायरिंग की घटनाओं से साफ है कि सरकार और प्रशासन हिंसा और अराजकता पर काबू पाने में विफल हो चुके हैं। हिंसा में लोकप्रिय गीतकार एस.एल. मंगबोई की मौत हो गई है।

मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाओं में तीन दिनों में 8 लोगों के मारे जाने और दो समुदायों में लगातार फायरिंग की घटनाओं से साफ है कि सरकार और प्रशासन हिंसा और अराजकता पर काबू पाने में विफल हो चुके हैं। हिंसा में लोकप्रिय गीतकार एस.एल. मंगबोई की मौत हो गई है। उन्होंने मणिपुर की हिंसा पर एक गीत लिखा था जिसे ‘आई गम हिलो हैम’ कहा जाता है जिसका अनुवाद यह है कि क्या यह हमारी भूमि नहीं। यह गीत काफी लोकप्रिय हुआ जिससे मंगबोई को नई पहचान मिली। राज्य में की जा रही नाकेबंदी के चलते भोजन,दवाओं और अन्य आवश्यक सामान की कमी हो चुकी है और लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मणिपुर में शांति और सौहार्द कायम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ही बार-बार पहल कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केन्द्र और मणिपुर सरकार को निर्देश दिया है कि राज्य में भोजन, दवाओं और अन्य आवश्यक सामान की सप्लाई शीघ्र सुनिश्चित की जाए और जरूरत पड़े तो एयर ड्रोप किया जाए। जहां तक आर्थिक नाकेबंदी का सवाल है उस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नाकेबंदी से निपटना केन्द्र, राज्य सरकार और कानून प्रवर्तन एजैंसियों का काम है लेकिन मानवीय स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार काे आवश्यक कदम उठाने चाहिए। यह भी कितना अफसोसजनक है कि राज्य सरकार स्थिति को नियंत्रण में कर लेने का भरोसा तो जता रही है लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच टकराव इतना बढ़ गया है कि उससे निपटना एक जटिल चुनौती है।
Advertisement
राज्य में तैनात असम राइफल्स के महानिदेशक लैफ्टिनेंट जनरल पी.सी. नायर भी स्वीकार करते हैं कि बल को जिस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है वह अभूतपूर्व है। असम राइफल्स ने अतीत में कभी भी इस तरह की स्थिति का सामना नहीं किया है। दोनों समुदायों के पास बड़ी संख्या में हथियार हैं जैसा पहले कभी नहीं हुआ। 90 के दशक की शुरुआत में नगाओं और कुकी के बीच संघर्ष हुआ था और 90 के दशक के अंत में कुकी समूहों के भीतर भी लड़ाई हुई थी लेकिन ऐसी स्थिति तब भी नहीं थी। आज दोनों समुदाय एक-दूसरे के बहुत ज्यादा खिलाफ हो गए हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुक्केबाजी में देश का गौरव बढ़ाने वाली मैरीकॉम ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कॉम समुदाय के गांव को बचाने की अपील की है। मैरीकॉम का कहना है कि कॉम समुदाय मणिपुर की एक स्थानीय जनजाति है और सबसे कम आबादी वाली अल्पसंख्यक जनजातियों में से एक है। पद्म विभूषण से सम्मानित मैरीकॉम ने कहा ‘हम सभी दो विरोधी समुदायों के बीच बिखरे हुए हैं… दोनों तरफ से मेरे समुदाय पर संदेह जताया जाता है और हम विभिन्न समस्याओं के बीच फंस गए हैं। कमजोर आंतरिक प्रशासन और एक छोटा समुदाय होने से हम अपने अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ करने वाली किसी भी ताकत के खिलाफ लड़ने में सक्षम नहीं हैं। हम दोनों विरोधी समूहों की कॉम गांवों में घुसपैठ रोकने के लिए सुरक्षा बलों से मदद चाहते हैं।’
इसमें कोई संदेह नहीं कि गृह मंत्रालय मणिपुर की स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए हैं और गृहमंत्री अमित शाह कुकी-मैतेई विवाद के बीच शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कोशिशें कर रहे हैं लेकिन दोनों ही समुदायों के स्वर अभी तक इतने ​तीखे हैं कि शांति वार्ता की कोई उम्मीद नजर नहीं आती। जातीय हिंसा ने सामाजिक ताने-बाने को छिन्न​-भिन्न करके रख दिया है। बड़े पैमाने पर हिंसात्मक घटनाओं को अंजा​म दिया गया है। इस विद्वेष की ग्लानि से भर देने वाला पहलू महिलायों को निशाना बना देने का रहा है। जिस समाज में महिलाओं की पारंपरिक तौर पर सम्मान और प्रतिष्ठा रही है वहां दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाना मानवता पर सवाल खड़े करता है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा से दहकते मणिपुर में भरोसे का माहौल कायम करने के ​लिए हिंसा पीड़ितों को राहत और पुनर्वास, मुआवजे आदि की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त तीन महिला जजों की समिति बनाकर एक सकारात्मक पहल की है। राज्य ने पिछले दशक में पूर्वोत्तर का विकास भी देखा है। राज्य के लोगों को यह अहसास कराने की जरूरत है कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता शांति है। अब सवाल यह है कि लोगों में आपसी विश्वास कैसे कायम किया जाए। राज्य सरकार को चाहिए कि वह सभी पक्षों से बातचीत कर हर संभव कदम उठाए। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच घृणा, नफरत की जगह प्यार-मोहब्बत कायम करना राज्य सरकार का दायित्व है। पता नहीं क्यों अब तक राज्य की बीरेन सरकार ऐसा करने में सफल नहीं हुई है। राज्य की सामाजिक और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement
Next Article