महंगाई से निपटने में नाकाम रही केंद्र, शरद पवार बोले- अहम मुद्दों से भटकाने के लिए हो रहा धर्म का इस्तेमाल
शरद पवार ने दावा किया कि केंद्र सरकार महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटने में ‘‘शत प्रतिशत नाकाम’’ रही है।
04:19 PM May 10, 2022 IST | Desk Team
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को दावा किया कि केंद्र सरकार महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटने में ‘‘शत प्रतिशत नाकाम’’ रही है, जबकि कुछ लोगों द्वारा अयोध्या की यात्रा और पूजा-पाठ किए जाने के मुद्दे को प्रमुखता दी जा रही है। पवार ने कोल्हापुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अयोध्या जाना कोई राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है।’’ राकांपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि कि उन्होंने ऐसा एक भी मामला नहीं देखा है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केंद्र सरकार में शामिल लोगों के खिलाफ छापेमारी की हो, लेकिन विपक्ष में मौजूद लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
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महंगाई, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था जैसे मसलों पर ध्यान दे केंद्र
मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का आह्वान करके विवाद खड़ा करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने हाल ही में कहा था कि वह भगवान राम का आशीर्वाद लेने के लिए पांच जून को अयोध्या जाएंगे। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने भी पहले कहा था कि वह अयोध्या का दौरा करेंगे। पवार ने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था जैसे मसलों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अयोध्या जाने और पूजा-पाठ करने जैसे मामलों को प्राथमिकता दी जा रही है।
वादे पूरे करने में नाकाम रही केंद्र सरकार
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर लोगों को आश्वस्त किया था, लेकिन इनसे निपटने में सरकार ‘‘शत प्रतिशत नाकाम’’ रही है और लोग उचित समय पर उससे इसकी भरपाई करेंगे। पवार ने कहा, ‘‘आम आदमी कई समस्याओं का सामना कर रहा है, लेकिन केंद्र में बैठे लोग इन पर ध्यान देने को तैयार नहीं हैं। समस्याओं से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए धर्म से जुड़ी इस तरह की हरकतों को बढ़ावा दिया जा रहा है।’’
राजद्रोह कानून के प्रावधानों पर शरद पवार ने कही यह बात
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अभ्यावेदन दिया है कि उसने एक ‘‘सक्षम मंच’’ द्वारा राजद्रोह कानून के प्रावधानों पर फिर से विचार कराए जाने का फैसला किया है। पवार ने इस मुद्दे पर कहा कि वह कोरेगांव-भीमा जांच आयोग के समक्ष पहले ही कह चुके हैं कि यह कानून ‘‘पुराने जमाने का’’ है और अंग्रेजों ने उनके खिलाफ बगावत करने वाले लोगों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया था।
राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘‘हम अब एक स्वतंत्र देश हैं और हर व्यक्ति को इस मामले में आवाज उठाने का अधिकार है।’’ अगली जनगणना के ‘ई-जनगणना’ होने के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर पवार ने कहा कि उन्होंने इसके बारे में सुना है, लेकिन यह पूछे जाने की आवश्यकता है कि ‘ई-जनगणना’ वास्तव में क्या है।
आखिर कौन है विपक्ष का चेहरा?
पवार ने भाजपा के खिलाफ एक वैकल्पिक मोर्चा बनाए जाने संबंधी सवाल के जवाब में कहा कि इस संबंध में विचार-विमर्श जारी है। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ‘‘विपक्ष का कोई चेहरा’’ है, पवार ने कहा, ‘‘इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। कुछ स्थानों पर हमारे (विपक्षी दलों) बीच मतभेद हैं। पश्चिम बंगाल चुनाव में हम और ममता बनर्जी एक साथ थे, लेकिन कांग्रेस और वामदल दूसरे खेमे में थे। यदि हम, कांग्रेस, वामदल और ममता एक साथ होते तो हमें एक अलग तस्वीर देखने को मिलती।’’
निकाय चुनाव में गठबंधन को लेकर पवार ने कही यह बात
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले महा विकास अघाडी (एमवीए) के घटक दलों के बीच गठबंधन की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि इस मामले में उनकी पार्टी में दो राय है। उन्होंने कहा, ‘‘राकांपा के कुछ सदस्यों का मानना है कि हमें अपने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना चाहिए और हम चुनाव के बाद गठबंधन पर फैसला कर सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि हम मिलकर सरकार चला रहे हैं, इसलिए चुनाव भी मिलकर लड़ना चाहिए। इस मामले में फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है।’’
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