For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

सिंगापुर के नए राष्ट्रपति

सिंगापुर के लोगों ने भारतीय मूल के थर्मन शनमुगरत्नम को अपना नया राष्ट्रपति चुन लिया है। थर्मन को रिकार्डतोड़ 70.4 फीसदी वोट हासिल हुए।

04:07 AM Sep 04, 2023 IST | Aditya Chopra

सिंगापुर के लोगों ने भारतीय मूल के थर्मन शनमुगरत्नम को अपना नया राष्ट्रपति चुन लिया है। थर्मन को रिकार्डतोड़ 70.4 फीसदी वोट हासिल हुए।

सिंगापुर के नए राष्ट्रपति
सिंगापुर के लोगों ने भारतीय मूल के थर्मन शनमुगरत्नम को अपना नया राष्ट्रपति चुन लिया है। थर्मन को रिकार्डतोड़ 70.4 फीसदी वोट हासिल हुए। उन्होंने वर्ष 2011 के बाद पहली बार हुए राष्ट्रपति चुनाव में चीनी मूल के दो प्रतिद्वंद्वियों को पराजित किया। अर्थशास्त्री थर्मन 2011 से 2019 तक सिंगापुर के उपप्रधानमंत्री रहे हैं। उन्होंने वित्तमंत्री के रूप में भी काम किया है। वे एक अच्छे वक्ता और सिंगापुर के सबसे जाने-माने राजनेताओं में से एक हैं। वे पिछले 20 सालों से अधिक समय तक पीपल्स एक्शन पार्टी से जुड़े रहे हैं। यद्यपि नस्लीय राजनीति के​ लिए जानी जाने वाली ​िसंगापुर की पीपल्स एक्शन पार्टी के नेता यह कहते रहे हैं कि सिंगापुर चीनी बहुसंख्यक देश है, जहां के लोग अल्पसंख्यक समुदाय के किसी व्यक्ति को नेतृत्व नहीं करने देंगे। लेकिन थर्मन शनमुगरत्नम ने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा और देश  की जनता ने उन्हें सर्वोच्च पद पर आसीन कर​ दिया। सिंगापुर में भारतीय मूल के थर्मन का राष्ट्रपति पद पर आसीन होना भारत के लिए गौरव का ​िवषय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा है कि भारत आैर सिंगापुर के द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में उनके साथ काम करने में उन्हें खुशी होगी। थर्मन शनमुगरत्नम की पर्सनल लाइफ देखें तो इनके परिवार के कुल 6 सदस्य हैं। उनकी पत्नी युमिको इटोगी ने उनके जीवन और करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनके चार बच्चे हैं जिनका नाम माया, आकाश, कृष्ण और अर्जुन है। थर्मन शनमुगरत्नम के बच्चे अपने माता-पिता के नक्शेकदम पर चले हैं। सबसे बड़ा बच्चा माया एक सामाजिक उद्यमी और वकील है, जबकि दूसरा बच्चा आकाश एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। वहीं दो छोटे भाई-बहन कृष्ण और अर्जुन क्रमांक इकोनॉमिक, पॉलिटिक्स और संगीत, आर्ट्स के स्टूडेंट हैं।
Advertisement
थर्मन शनमुगरत्नम का पारिवारिक जीवन उनके राजनीतिक करियर की तरह ही गतिशील और प्रेरणादायक है। उनके बच्चों को सार्वजनिक सेवा के लिए अपने माता-पिता का उत्साह विरासत में मिला है। हर एक बच्चे ने अनूठे रास्ते बनाए हैं। थर्मन शनमुगरत्नम ने सिंगापुर के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। थर्मन शनमुगरत्नम का जन्म 1957 में हुआ था। सिंगापुर में राष्ट्रपति की भूमिका मौटे तौर पर औपचारिक होती है और उन्हें अधिक शक्तियां नहीं दी जातीं। हालांकि सिंगापुर के वित्त भंडार से जुड़ी कुछ ताकत उनके हाथों में ज़रूर होती है। राष्ट्रपति के पास सरकार और सार्वजनिक मामलों में बोलने की शक्ति बेहद सीमित होती है।
सरकार के पास राष्ट्रपति को पद से हटाने की ताकत होती है। यहां की सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि राष्ट्रपति, पूरी स्वतंत्रता के साथ बात नहीं कर सकते और उनकी भूमिका कुछ वैसी ही रहेगी जैसी ब्रिटेन में महारानी की। माना जाता है कि ये औपचारिक पद उन नेताओं के लिए सही हो सकता है जो शांत स्वभाव वाले हैं और विवादों से दूर रहना पसंद करते हैं, जैसा कि पहले के कई राष्ट्रपति थे।  थर्मन का कौशल लाजवाब है। वो सं​युक्त राष्ट्र और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे वैश्विक संगठनों में काम कर चुके हैं। एक समय वह भी था जब यह कहा जा रहा है कि वह मुद्राकोष के प्रमुख बन सकते हैं। गैर चीनी मूल के नेता पहले भी सिंगापुर के राष्ट्रपति रहे हैं लेकिन यह पहला मौका है जब इस पद की दौड़ में मुकाबले के बाद किसी ने जीत हासिल की है। उनकी जीत चीनी नस्लवाद के खिलाफ एक बुलंद आवाज की जीत है। थर्मन की जीत ने यह साबित कर दिया कि वह केवल अल्पसंख्यक समुदाय के नेता नहीं हैं बल्कि पूरे देश के नेता हैं। उनकी जीत भारत के लिए महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि भारत और सिंगापुर के बीच घनिष्ठ संबंधों का एक इतिहास रहा है।
सिंगापुर के साथ भारत के संबंध चोल वंश के समय से चले आ रहे हैं। 1965 में सिंगापुर की आजादी के बाद दोनों देशों के संबंध लगातार घनिष्ठ होते गए और 1990 के दशक में भारत के आर्थिक सुधारों और भारत की लुक ईस्ट नीति ने संबंधों की नई रूपरेखा सृजन कर डाली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में सिंगापुर यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी के संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। सिंगापुर की 3.9 मिलियन की आबादी में भारतीय लगभग 9.1 प्रतिशत यानि 3.5  लाख हैं। उन्होंने सिंगापुर के अार्थिक विकास, सामाजिक ताने-बाने और सांस्कृतिक विविधता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सिंगापुर आसियान में भारत के सबसे बड़े व्यापार और निवेश भागीदारों में से एक है। दोनों देशों ने राजनीतिक साझेदारी को काफी विकसित किया है। सिंगापुर की कम्पनियों ने भारत में बुनियादी ढांचा परियोजना में बहुत बड़ी भू​िमका निभाई है। उम्मीद है कि थर्मन शीघ्र ही भारत का दौरा करेंगे और दोनों देशों के संंबंधों के नए आयाम स्थापित करेंगे।
Advertisement
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×