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स्वीपर से अफसर बनी महिला, सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली 2 बच्चों की मां का RAS में चयन

आशा कंदारा ने कहा, “मुझे शादी टूटने, जातिगत भेदभाव से लेकर लैंगिक पूर्वाग्रह तक बहुत कुछ सहना पड़ा। लेकिन मैंने कभी खुद को दुख में नहीं डूबने दिया और इसके बजाय लड़ने का फैसला किया।”

05:26 PM Jul 16, 2021 IST | Pinki Nayak

आशा कंदारा ने कहा, “मुझे शादी टूटने, जातिगत भेदभाव से लेकर लैंगिक पूर्वाग्रह तक बहुत कुछ सहना पड़ा। लेकिन मैंने कभी खुद को दुख में नहीं डूबने दिया और इसके बजाय लड़ने का फैसला किया।”

कठिन परिस्थियों को पार करते हुए कामयाबी की बुलंदियों को छूने का एहसास ही अलग होता है………….! मेहनत और कड़ी लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। इन शब्दों को वास्तविकता में बदलती हैं सड़कों पर झाडू लगाने से लेकर राजस्थान सरकार की अधिकारी बनने वाली आशा कंदारा। जी हां, आशा कंदारा वह महिला हैं जिन्होंने कड़ी मेहनत और धैर्य रखने से वो हासिल किया जो अन्य महिलाओं के लिए मिसाल पेश करती हैं।
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दो बच्चों की मां कंदारा (40) ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) परीक्षा, 2018 में सफलता हासिल की। इस परीक्षा के परिणाम में देरी हुई और आखिरकार 13 जुलाई, 2021 को नतीजा घोषित किया गया। वह इस समय अकेले ही अपने बच्चों को संभाल रही हैं क्योंकि कुछ वर्ष पहले वह अपने पति से अलग हो गई थीं। इसके बाद कंदारा ने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने का फैसला किया। उन्होंने 2016 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 
उन्होंने कहा, “मुझे शादी टूटने, जातिगत भेदभाव से लेकर लैंगिक पूर्वाग्रह तक बहुत कुछ सहना पड़ा। लेकिन मैंने कभी खुद को दुख में नहीं डूबने दिया और इसके बजाय लड़ने का फैसला किया।’’ अपने पिता के साथ रहते हुए, जो जोधपुर नगर निगम में ही काम करते थे, उन्होंने हमेशा आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने और अपने बच्चों को अपने दम पर पालने का सपना देखा। 
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 2018 में जोधपुर नगर निगम के लिए सफाई कर्मचारी की परीक्षा दी और इसे उत्तीर्ण कर लिया।’’ कंदारा ने सफाईकर्मी के रूप में अपनी ड्यूटी निभाने के साथ-साथ आरएएस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने अगस्त 2018 में प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की और इससे वह अंतिम परीक्षा की तैयारी के लिए प्रोत्साहित हुई।
उन्होंने कहा, “मैं एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में समाज को न्याय दिलाने के लिए काम करना चाहती हूं। मेरा प्रयास सिर्फ मेरे समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि अन्याय से पीड़ित हर व्यक्ति के लिए है।”
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