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हनुमान चालीसा: नवनीत और रवि राणा को सेशंस कोर्ट से मिली बड़ी राहत! इन शर्तों के साथ दी गई जमानत

हनुमान चालीसा विवाद में लोकसभा सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को बड़ी राहत मिल गई है, दरअसल मुंबई की एक सेशंस कोर्ट ने राणा दंपत्ति को शर्तों के साथ बेल दे दी गई है।

11:49 AM May 04, 2022 IST | Desk Team

हनुमान चालीसा विवाद में लोकसभा सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को बड़ी राहत मिल गई है, दरअसल मुंबई की एक सेशंस कोर्ट ने राणा दंपत्ति को शर्तों के साथ बेल दे दी गई है।

हनुमान चालीसा विवाद में लोकसभा सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को बड़ी राहत मिल गई है, दरअसल मुंबई की एक सेशंस कोर्ट ने राणा दंपत्ति को शर्तों के साथ बेल दे दी गई है। बता दें कि राणा दंपत्ति को 50 हजार रूपए प्रति व्यक्ति का सिक्योरिटी बॉन्ड देना होगा, साथ ही कोर्ट ने उन्हें इस तरह के मामलों में दोबारा ना फंसने और सबूतों से किसी भी तरह की छेड़छाड़ ना करने और इस मामले पर किसी भी तरह की प्रेस कॉन्फ्रेंस ना करने की सख्त हिदायत दी है। बताते चलें की कोर्ट की किसी भी शर्त का उल्लंघन करने पर दोनों नेताओं की जमानत को रद्द किया जा सकता है, ऐसा माना जा रहा है कि नवनीत और रवि राणा आज शाम तक जेल से रिहा हो सकते हैं।  
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नवनीत राणा को जेजे अस्पताल में किया गया था भर्ती 
बता दें कि लोकसभा सांसद नवनीत राणा को स्पोंडिलोसिस के इलाज के लिए आज सुबह ही भायखला जेल से मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अमरावती की सांसद और उनके विधायक पति रवि राणा को पिछले महीने मुंबई पुलिस ने बांद्रा में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने की सार्वजनिक घोषणा के बाद गिरफ्तार किया था। हालांकि राणा दंपति ने सीएम उद्धव के आवास के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने की अपनी योजना को छोड़ दिया था, लेकिन मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ देशद्रोह और दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी। 
इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ मामला  
मुंबई की बांद्रा अदालत ने राणा दंपति को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। राणा दंपत्ति पर आईपीसी की धारा 153 (ए) (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करना) और धारा 135 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मुंबई पुलिस अधिनियम (पुलिस के निषेधाज्ञा का उल्लंघन) द्वारा दंपति को खार पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां उनके खिलाफ पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में पुलिस ने उनके खिलाफ मामले में आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह) भी जोड़ा गया था।
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