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हरियाणा में पुलिस हरकत में !

हरियाणा में विगत दिनों हुई साम्प्रदायिक हिंसा के लिए बजरंग दल से जुड़े व्यक्ति राजकुमार उर्फ बिट्टू बजरंगी को गिरफ्तार करके समस्त हरियाणावासियों को सन्देश देने का प्रयास किया है

01:19 AM Aug 17, 2023 IST | Aditya Chopra

हरियाणा में विगत दिनों हुई साम्प्रदायिक हिंसा के लिए बजरंग दल से जुड़े व्यक्ति राजकुमार उर्फ बिट्टू बजरंगी को गिरफ्तार करके समस्त हरियाणावासियों को सन्देश देने का प्रयास किया है

हरियाणा में विगत दिनों हुई साम्प्रदायिक हिंसा के लिए बजरंग दल से जुड़े व्यक्ति राजकुमार उर्फ बिट्टू बजरंगी को गिरफ्तार करके समस्त हरियाणावासियों को सन्देश देने का प्रयास किया है कि किसी भी समुदाय के खिलाफ उग्र व चरमपंथी विचारों का नकाब पहन कर जहर उगलने वालों काे कानून के सामने पेश करने में उसे कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। विगत 31 जुलाई को राज्य के मेवात इलाके के नूंह में जिस तरह कुछ लोगों ने विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल संगठनों के छाते के नीचे जमा होकर मुस्लिम समाज के लोगों के खिलाफ विषवमन करते हुए हिंसा का बाजार गर्म करने में भूमिका निभाई थी वह भारतीय कानूनों के खिलाफ थी और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी।  नूंह में पुलिस कार्रवाई शुरू होने के बाद राजकुमार पुलिस से बचता फिर रहा था मगर पुलिस ने उसे फरीदाबाद से गिरफ्तार करके कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी। दरअसल राजकुमार या बिट्टू बजरंगी जैसे लोग राष्ट्रीय एकता के लिए बहुत बड़ा खतरा होते हैं क्योंकि वे देश के एक वर्ग के नागरिकों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाने पर रख कर दूसरे वर्ग के लोगों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर भड़काते हैं और उनमें नफरत भर कर साम्प्रदायिक हिंसा का बाजार गर्म करते हैं। ऐसे लोगों को हम देश विरोधी ही कहेंगे क्योंकि उनकी आस्था भारतीय संविधान  न होकर अपने ही बनाये गये धार्मिक व सामाजिक नियमों में होती है और वे स्वयं को धर्म रक्षक के चोले में पेश करके उसी धर्म के लोगों को हिंसा करने के लिए उकसाते हैं।
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 मगर यह वह भारत है जहां के ब्राह्मण समाज में हुसैनी ब्राह्मण कहे जाने वाले लोग इस्लाम धर्म के हजरत इमाम हुसैन की याद में मुहर्रम के दिनों में ताजिये भी निकालते हैं। हुसैनी ब्राह्मण अधिकतर बंटवारे से पहले संयुक्त पंजाब प्रान्त में ही होते थे जो मानते थे कि इस्लाम में कर्बला के धर्म युद्ध में उनके पुरखों ने हजरत इमाम हुसैन का साथ दिया था और वे उनकी तरफ से लड़े थे। हालांकि ये मूलतः हिन्दू होते हैं और ब्राह्मण होते हैं। भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का क्या इससे बड़ा भी उदाहरण मिल सकता है। जहां तक मेव मुसलमानों का सवाल है तो मैं इनका इतिहास पहले भी लिख चुका हूं जिसे दोहराने की अब जरूरत नहीं है। मगर हमारे पुरखों ने हमें जो इंसानियत और मानवीयता के संस्कार दिये हैं उन्हें बजरंग दल जैसे संगठनों के लोग कभी समाप्त नहीं कर पायेंगे। 
विगत 31 जुलाई को ही नूंह के पास सोहना की सुल्तानी दौर की एक मस्जिद को दंगाइयों ने जलाने का प्रयास किया था  और इसके इमाम के परिवार पर हमला करने की कोशिश भी की थी। मगर उनकी रक्षा के लिए पास में ही रहने वाले सिख सरदार गुरुवचन सिंह ने उनकी रक्षा की और अपना धर्म निभाया। वास्तव में बिट्टू बजरंगी ने नलहर मन्दिर की जल यात्रा में शामिल उन लोगों से घातक हथियार लेने के प्रयास किये थे जो वे यात्रा में लेकर चल रहे थे। पुलिस ने एेसे लोगों से हथियार लेने में सफलता भी प्राप्त की। बिट्टू बजरंगी ने इन हथियारों को पुलिस से ही छीनने के लिए अपने साथियों को प्रेरित किया और कट्टरपंथी व धार्मिक उन्माद से भरी गतिविधियां भी की थीं। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि सोहना की मस्जिद पर हमला करने वाले लोगों के हाथों में हथौड़े  से लेकर अन्य घातक हथियार भी थे।  बजरंग दल या विश्व हिन्दू परिषद के देश के अन्य स्थानों पर आयोजित होने वाली धार्मिक यात्राओं में भी घातक हथियार लेकर चलने के दृश्य देश की जनता टीवी चैनलों पर भी देखती रहती है। बिट्टू बजरंगी का गिरफ्तार होना अभी मात्र शुरूआत ही कही जायेगी क्योंकि पुलिस ने कम से कम 11 लोगों की पहचान कर रखी है। 
अभी पिछले दिनों ही हमने देखा कि किस प्रकार हिन्दू महापंचायत के नाम पर पलवल के निकट पौडरी में एक सभा हुई थी उसमें मांग की गई थी कि उनकी धार्मिक यात्रा के लिए उन्हें बन्दूकों के लाइसेंस दिये जाये। भारत में खास कर हिन्दू धर्म के साकार उपासकों में यह परंपरा कब से शुरू हो गई कि राम, कृष्ण अथवा अन्य देवताओं की श्रद्धा में किये जाने वाले आयोजनों में शस्त्र लेकर चला जाता है? उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में यह परंपरा जरूर रही है कि दशहरे के अवसर पर विभिन्न कस्बों या शहरों में चलने वाले अखाड़ों के जुलूस निकला करते थे जिनमें भाग लेने वाले लोग गतके से लेकर पटा, बरैटी जैसे युद्ध के खेलों का प्रदर्शन करते हुए चलते थे जिनमें मुसलमान नागरिक भी सहयोग करते थे और कहीं-कहीं तो भाग भी उसी प्रकार लेते थे जिस तरह रामलीलाओं में लेते हैं। भारत की मिली-जुली संस्कृति में विष बोने वाले ये कौन लोग पैदा हो गये हैं जो साम्प्रदायिकता को ही अपने धर्म का हिस्सा मानने लगे हैं। राजकुमार या बिट्टू बजरंगी के साथ गुड़गांव के दंगों को भड़काने के लिए नफरत के बाजार की दुकानें सजाने वाले मोनू मानेसर को अभी पुलिस ने गिरफ्तार करना है। हरियाणा की महान संस्कृति में हिन्दू-मुस्लिम एकता के निशान हमें हर पक्ष में मिलेंगे। एेसी संस्कृति में नफरत का जहर घोलने वाले को पुलिस को पकड़ना ही होगा और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार स्वतः संज्ञान लेकर साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखना होगा।
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