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हल्के अस्थमा वाले लोगों के लिए, मोमबत्ती का धुआं भी हो सकता खतरनाक, जांच में सामने आई बड़ी जानकारी

न केवल अस्थमा से पीड़ित लोगों को घर के अंदर के माहौल पर नज़र रखने की ज़रूरत है। भले ही अध्ययन युवा अस्थमा रोगियों पर केंद्रित है। सर्दी आ रही है, एक ऐसा समय जब हम बहुत सारी मोमबत्तियाँ जलाते हैं और शायद खाना बनाते समय दरवाजे और खिड़कियां खोलने की संभावना कम होती है।

05:20 PM Sep 03, 2023 IST | Gulshan Kumar Jha

न केवल अस्थमा से पीड़ित लोगों को घर के अंदर के माहौल पर नज़र रखने की ज़रूरत है। भले ही अध्ययन युवा अस्थमा रोगियों पर केंद्रित है। सर्दी आ रही है, एक ऐसा समय जब हम बहुत सारी मोमबत्तियाँ जलाते हैं और शायद खाना बनाते समय दरवाजे और खिड़कियां खोलने की संभावना कम होती है।

हल्के अस्थमा वाले लोगों के लिए  मोमबत्ती का धुआं भी हो सकता खतरनाक  जांच में सामने आई बड़ी जानकारी
एक शानदार शाम हो आप एक अच्छी टेबल पर हो और उस पर सेटिंग, पैन में एक स्टेक और नरम मोमबत्ती की रोशनी हो, ये काफी ही दिलस्चप हो सकता है, लेकिन ये शाम किसी के लिए तब खतरनाक हो सकता है, जब उसको अस्थमा हो। हां ऐसा इसलिए क्योंकि एक जांच नें कुछ ऐसे रिपोर्ट प्रकासित किए हैं, जो हल्के अस्थमा वाले लोगों के लिए खतरनाक हो सकता हैं।
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बता दें कि आरहस विश्वविद्यालय के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग का एक हालिया अध्ययन बहुत अधिक आरामदायक वातावरण में सांस लेने के खिलाफ चेतावनी देता है। विभाग के पोस्टडॉक और अध्ययन के सह-लेखक कैरिन रोसेनकिल्डे लॉरसेन ने कहा “हमारे अध्ययन से पता चलता है कि खाना पकाने और मोमबत्तियाँ जलाने से निकलने वाले धुएं के कारण होने वाला इनडोर वायु प्रदूषण युवा व्यक्तियों में जलन और सूजन जैसे प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव पैदा कर सकता है”।
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जो हल्का अस्थमा के सिमटम से मिलता है। अन्य बातों के अलावा उनको डीएनए क्षति और रक्त में सूजन के संकेत मिले हैं”। जब हम ओवन चालू करते हैं, हॉब पर एक पैन रखते हैं, या मोमबत्तियाँ जलाते हैं, तो अति सूक्ष्म कण और गैसें उत्पन्न होती हैं, जिन्हें हम साँस के रूप में अंदर लेते हैं। पिछले अध्ययनों से पता चला है कि ये कण और गैसें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। कैरिन रोसेनकिल्डे लॉरसन ने कहा कि जो बात इस अध्ययन को अलग करती है।
वह यह है कि शोधकर्ताओं ने 18 से 25 वर्ष की आयु के हल्के अस्थमा वाले युवा व्यक्तियों पर प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया है। जांच में देखा गया कि अगर खाना पकाने के दौरान या मोमबत्तियाँ जलाते समय कमरा पर्याप्त रूप से हवादार नहीं है, तो हल्के अस्थमा से पीड़ित बहुत युवा व्यक्तियों को भी असुविधा और प्रतिकूल प्रभाव का अनुभव हो सकता है। युवा लोग आमतौर पर वृद्ध और मध्यम आयु वर्ग के व्यक्तियों की तुलना में अधिक फिट और अधिक लचीले होते हैं।
इसलिए, यह चिंताजनक है कि हमने इस विशेष रूप से युवा आयु वर्ग पर कणों का महत्वपूर्ण प्रभाव देखा है। लेकिन आगे वह कहती हैं कि न केवल अस्थमा से पीड़ित लोगों को घर के अंदर के माहौल पर नज़र रखने की ज़रूरत है। भले ही अध्ययन युवा अस्थमा रोगियों पर केंद्रित है, लेकिन इसके निष्कर्ष हम सभी के लिए दिलचस्प हैं।
सर्दी आ रही है, एक ऐसा समय जब हम बहुत सारी मोमबत्तियाँ जलाते हैं और शायद खाना बनाते समय दरवाजे और खिड़कियां खोलने की संभावना कम होती है। प्राथमिकता देकर स्वस्थ इनडोर जलवायु, यहां तक ​​कि जब हम घर के अंदर आराम कर रहे होते हैं, तब भी हम गंभीर फेफड़ों और हृदय रोगों, साथ ही कैंसर की घटनाओं को कम करने में मदद करने में सक्षम हो सकते हैं।
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Gulshan Kumar Jha

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मेरा नाम गुलशन कुमार झा है। मैं 2022 से मीडिया क्षेत्र में काम कर रहा हूं। मैंने पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई नोएडा से की हैं। अपने प्रोफेशनल जिंदगी की शुरुआत मैंने न्यूज24 में इंटर्न के रूप में काम किया, जिसके बाद रिपब्लिक इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म में एंकर के रूप में काम करते हुए नई-नई चीजों को सिखा। पॉलिटिक्स, लाइफस्टाइल, ट्रेंडिंग समेत इंटरनेशनल बीट पर अच्छी कमांड रखते हुए अभी मैं पंजाब केसरी.कॉम में कंटेंट राइटर और एंकर के रूप में काम कर रहा हूं।

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