जनेऊ पहनने के ये होते हैं फायदे, जानिए इसके धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
यज्ञोपवीत संस्कार का हिन्दू शास्त्रों में बहुत ही महत्व बताया गया है। हिन्दू धर्म के मुख्य 24 संस्कारों में से एक जनेऊ संस्कार है। उपनयन संस्कार के अंतर्गत यह आता है।
11:48 AM Apr 09, 2020 IST | Desk Team
यज्ञोपवीत संस्कार का हिन्दू शास्त्रों में बहुत ही महत्व बताया गया है। हिन्दू धर्म के मुख्य 24 संस्कारों में से एक जनेऊ संस्कार है। उपनयन संस्कार के अंतर्गत यह आता है। हिन्दू शास्त्र में कहा गया है कि जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना हर हिन्दू व्यक्ति का कर्तव्य होता है। मान्यता है कि यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार द्विज बालक को जनेऊ धारण करने के बाद ही कर सकता है।
जनेऊ क्या है?
जनेऊ एक पवित्र धागा होता है जो की सूत से बना होता है। व्यक्ति अपने बाएं कंधे के ऊपर और दाईं भुजा के नीचे इसे धारण करता है। टॉयलेट के कुछ खास नियम जनेऊ संस्कार में बताए हैं। इन नियमों का वैज्ञानिक महत्व भी बताया गया है। चलिए वैज्ञानिक महत्व और जनेऊ के फायदों के बारे में आपको बताते हैं।
दूर करता है हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की समस्या
रिसर्च में पता चला है कि हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की समस्या जनेऊ धारण करने वाले लोगों को नहीं होती। शरीर में खून का प्रवाह जनेऊ पहनने से सही चलता है। इसका आध्यात्मिक के साथ वैज्ञानिक आधार भी बताया गया है। रिसर्च के मुताबिक हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की समस्या जनेऊ पहनने से नहीं होती है।
स्मरण शक्ति कान पर जनेऊ रखने से होती है
स्मरण शक्ति जनेऊ को नित्य कान पर रखने से अच्छी होती है। दिमाग की वो नसें कान पर दबाव पड़ने से खुलती हैं जिनका स्मरण शक्ति से संबंध होता है। वैज्ञानिक भी अब इस बात को मान चुके हैं कि वैज्ञानिक आधार जनेऊ को शौच के दौरान कान पर रखने का होता है।
नियंत्रण में रक्तचाप रहता है
कान के पास जनेऊ को शौच के दौरान रखने से नसें दबती हैं, वह रक्तचाप को नियंत्रण में रखती हैं साथ ही शरीर में ब्लडप्रेशर की दिक़्क़त को दूर करती हैं। रिसर्च में पता चला है कि कान के पास जनेऊ को शौच में रखने पर वैज्ञानिक आधार भी होता है, इससे रक्तचाप का नियंत्रण शरीर में ऐसा करने से सही रहता है।
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