सीएम नीतीश बोले- जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक इस सप्ताह संभव, जानें बीजेपी ने क्या कहा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को संकेत दिया कि जातीय जनगणना को लेकर बहुप्रतीक्षित सर्वदलीय बैठक इस सप्ताह के अंत में हो सकती है..
07:33 PM May 23, 2022 IST | Desk Team
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को संकेत दिया कि जातीय जनगणना को लेकर बहुप्रतीक्षित सर्वदलीय बैठक इस सप्ताह के अंत में हो सकती है। पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं ने मुख्यमंत्री से जातीय जनगणना से संबंधित सवाल किया। संवाददाताओं ने उन अपुष्ट खबरों के बारे में पूछा जिसमें इस मामले पर एक बैठक 27 मई को बुलाने की बात कही गई है।
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इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘27 तारीख को लेकर अनेक दलों से बातचीत हुई है। अभी सभी दलों की सहमति नहीं मिली है, सभी की सहमति आने के बाद ही बैठक होगी।’’
बिहार विधानसभा ने इसको लेकर दो बार प्रस्ताव पारित किया
उन्होंने कहा कि हमलोग शुरू से ही जातीय जनगणना कराना चाहते हैं। बिहार विधानसभा ने इसको लेकर दो बार प्रस्ताव पारित किया है। नीतीश ने कहा कि इस बार सभी पार्टियों की बैठक करके और निर्णय लेकर कैबिनेट के माध्यम से इसको मंजूरी दी जाएगी और इस पर काम शुरू किया जायेगा, यही इसका तरीका है।
उन्होंने कहा कि इसको लेकर सभी दल के लोगों के साथ चर्चा हो रही है। एक बार बैठक हो जायेगी तो अच्छा होगा, बैठक में सबकी राय ली जायेगी कि कैसे और बेहतर ढंग से इसे किया जाय। नीतीश ने कहा कि सरकार ने भी इसके लिये पूरी तैयारी की है, लेकिन सबकी राय लेने के बाद ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जायेगा।
सुशील कुमार मोदी ने भी बयान जारी कर कह चुके
बता दें कि पिछले कुछ सप्ताह से राज्य में जातीय जनगणना को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना नहीं होने की स्थिति में पटना से दिल्ली तक पैदल मार्च करने की घोषणा तक कर दी है। वहीं सुशील कुमार मोदी ने भी बयान जारी कर कह चुके हैं कि बीजेपी के बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा है कि वो जातीय जनगणना के विरोध में है।
बिहार में जातिगत जनगणना की मांग काफी समय से चल रही है। पिछले दिनों नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी। हालांकि, केंद्र की मोदी सरकार जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है, लेकिन बिहार में बीजेपी के समर्थन से चल रही नीतीश सरकार जातिगत जनगणना कराने की जिद पर अड़ी है।
आजादी से पहले साल 1931 में जातिगत जनगणना हुई
देश में जाति आधारित जनगणना की मांग काफी पहले से हो रही है। आजादी से पहले साल 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी, जिसके बाद से दोबारा नहीं हुई है। साल 1941 में जनगणना के समय जाति आधारित डेटा जुटाया जरूर गया था, लेकिन प्रकाशित नहीं किया गया। साल 1951 से 2011 तक की जनगणना में हर बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का डेटा दिया गया, लेकिन ओबीसी और दूसरी जातियों का नहीं।
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