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कोरोना : खुद की डाक्टरी न करें

हालांकि दुनिया में सबसे बड़ा आश्चर्य यह माना गया है कि जब यक्ष ने युधिष्ठर से पूछा था कि दुनिया में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है तो उसने जवाब दिया था कि मानव रोज जीवों को मरते देखता है परंतु फिर भी जीवित रहने की इच्छा रखता है, यही सबसे बड़ा आश्चर्य है।

03:14 AM Jan 09, 2022 IST | Kiran Chopra

हालांकि दुनिया में सबसे बड़ा आश्चर्य यह माना गया है कि जब यक्ष ने युधिष्ठर से पूछा था कि दुनिया में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है तो उसने जवाब दिया था कि मानव रोज जीवों को मरते देखता है परंतु फिर भी जीवित रहने की इच्छा रखता है, यही सबसे बड़ा आश्चर्य है।

हालांकि दुनिया में सबसे बड़ा आश्चर्य यह माना गया है कि जब यक्ष ने युधिष्ठर से पूछा था कि दुनिया में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है तो उसने जवाब दिया था कि मानव रोज जीवों को मरते देखता है परंतु फिर भी जीवित रहने की इच्छा रखता है, यही सबसे बड़ा आश्चर्य है। आज के परिवेश में हम देख रहे हैं कि कोरोना एक काल बनकर दुनिया पर मंडरा रहा है परंतु दुनिया ने विशेष रूप से भारत ने इसका डटकर मुकाबला किया है और आश्चर्य यह है कि हमारी जबर्दस्त लड़ाई और जुझारूपन के बावजूद इसकी विदाई नहीें हो रही। अब इस कोरोना को दुनिया से भगाना है यह इसलिए जरूरी है क्योंकि तीसरी लहर के रूप में इसका वेरियेंट ओमीक्रोन इतनी तेजी से फैल रहा है कि हर रोज केस बढ़ते ही जा रहे है। मेरी अक्सर कई डिबेट्स में बातचीत होती रहती है। मैं एक ही चीज जानती हूं कि दुनिया में हर चीज पर विजय पाई जा सकती है लेकिन इसकी शर्त है कि चूक या लापरवाही नहीं होनी चाहिए। 
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हालांकि सरकार कोरोना को लेकर आये दिन नई-नई एडवाइजरी जारी करती है। डॉक्टर्स लोगों को समझाने-बुझाने का काम कर रहे हैं लेकिन चूक और लापरवाही वाली बात यह है कि लोग अपने घरों में खुद ही डाक्टर बने हुए हैं। सबके पास अपने घरो में मेडिकल बॉक्स बने हुए हैं जिसमें वह अपनी रूटीन की दवाएं सेवन में लाते रहते हैं। यह अच्छी बात है लेकिन इस बॉक्स में रखी दवाएं कहीं एक्सपाईरी डेट की तो नहीं है यह ध्यान रखना एक बड़ी जिम्मेवारी है। सोशल मीडिया पर एक ऐसे ही परिवार को देखा जिसके दो लोगों ने अपने घर के मेडिकल बॉक्स में रखी वह दवा इस्तेमाल कर ली जो दो वर्ष पहले एक्सपायर हो चुकी थी। परिवार के एक सदस्य की मौत हो गई और दूसरे को बड़ी मुश्किल से बचाया गया। चूक और लापरवाही से बचते हुए हमें डाक्टरों की बात को ध्यान रखना है। डाक्टर्स और सरकार परामर्श दे रहे हैं कि कोरोना के केस में पैरासीटामोल, स्टीरॉयड या कोई भी अन्य दवा डाक्टरी परामर्श के बाद ही लें लेकिन कोरोना के मामले में लोग खुद ही डाक्टर बनकर साधारण बुखार तोड़ देने वाली दवाएं ले रहे हैं और उनके बुरे प्रभाव भी पड़ सकते हैं। यह एलर्जी भी पैदा कर सकते हैं। बड़ी दिक्कत यह है कि कोरोना में बुखार होता है या नहीं यह बड़ा सवाल है। कोरोना होने पर किसी में बुखार के लक्षण आते हैं और किसी को बुखार भी नहीं चढ़ता। ऐसे में अपनी मर्जी से दवा न ली जाये तो अच्छा है। आजकल प्राईवेट डॉक्टर्स भी रोगी की बात सुनने के बाद उसका नेचर जान लेने के बाद उसको वैसी ही दवा दे रहे हैं इससे उसको फायदा पहुंचता है और वह ठीक हो रहा है। कोरोना के खिलाफ जंग का यह कारगर तरीका है। हमें यही अपनाना होगा। अगर मन मर्जी की दवा लेंगे तो राहत मिलने वाली नहीं है। 
हमने कोरोना की पहली लहर के दौरान लोगों को इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ते हुए देखा है। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, बार-बार हाथ धोना और सैनेटाइजेशन नियमित रूप से करते रहे तो इसकी पहली लहर को हमने निष्प्रभावी किया है लेकिन दूसरी लहर जो डेल्टा लाई थी वह बहुत खतरनाक रही। अब तीसरी लहर जो ओमीक्रोन की है यह बहुत ही तेजी से फैलने वाला संक्रामक ला रही है। इसको निष्प्रभावी करने का एक ही तरीका है वह है हमारी जागरूकता और सूझबूझ से भरी लड़ाई। अगर हमने कोरोना पर जीत पानी है तो फिर हमें लापरवाही छोड़नी होगी। लोग बेखौफ हो चुके हैं। लोग कहने लगे हैं जो होगा वह देखा जायेगा। यह कह देना आसान है जिन लोगों के घरों से कोरोना के कारण विदाई हुई  है वह बहुत कष्टदायी है लेकिन तब तक बहुत कुछ तबाह हो चुका होता है इसलिए यह कहना ठीक नहीं कि जो होगा देखा जायेगा। साधारण बुखार की दवा अगर लेनी है तो डाक्टर से पूछकर ही लें। आग लगने पर कुआं खोदने से बेहतर स्थिति यह है कि पहले से तैयारी की जानी चाहिए ताकि मुसीबत का सामना किया जा सके। आने वाले दिन चौंकाने वाले होंगे यह बात हम नहीं डाक्टर और सरकार कह रही है इसलिए अलर्ट रहना जरूरी है। सन् 2019 के दिसंबर से शुरू हुई यह जंग दो साल से चल रही है और अब 2022 आ गया है। इसका एक ही विकल्प है कि एकजुटता से लड़ें तथा लापरवाही और चूक से दूर रहें। हम निश्चित ही जीतेंगे। 
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