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धनखड़ उस वक्त चुप्पी साध लेते हैं, जब BJP नेता विवादास्पद बयान...ममता बनर्जी का अपमान करते: अभिषेक बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की आलोचना की और न्यायपालिका पर अपनी उन विवादास्पद टिप्पणियों का बचाव किया

08:37 PM May 30, 2022 IST | Desk Team

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की आलोचना की और न्यायपालिका पर अपनी उन विवादास्पद टिप्पणियों का बचाव किया

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की आलोचना की और न्यायपालिका पर अपनी उन विवादास्पद टिप्पणियों का बचाव किया, जिन्हें राज्यपाल ने हद पार करने वाला करार दिया है। बनर्जी ने दावा किया कि धनखड़ उस वक्त चुप्पी साध लेते हैं, जब भारतीय जनता पार्टी के नेता विवादास्पद बयान देते हैं या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का अपमान करते हैं।
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 सांसद बनर्जी की टिप्पणियों के सिलसिले में की गई
इससे पहले दिन में, राज्यपाल ने राज्य के मुख्य सचिव से न्यायपालिका पर डायमंड हार्बर से सांसद बनर्जी की टिप्पणियों के सिलसिले में की गई कार्रवाई से उन्हें (राज्यपाल को) छह जून तक अवगत कराने को कहा। ये टिप्पणियां बंगाल से जुड़े कई मामलों की जांच अदालत द्वारा सीबीआई को सौंपने के आदेश के संदर्भ में की गई थीं। बनर्जी ने शनिवार को हल्दिया में न्यायपालिका के एक वर्ग की खुद के द्वारा की गई आलोचना का कोलकाता के निकट श्यामनगर में एक रैली में यह कहते हुए बचाव किया कि ‘‘उन्होंने किसी न्यायाधीश का नाम नहीं लिया था और ना ही किसी फैसले का जिक्र किया था। ’’
देश का नागरिक ‘‘किसी फैसले की आलोचना करने 
बनर्जी ने जोर देते हुए कहा कि इस देश का नागरिक ‘‘किसी फैसले की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र है। ’’ बनर्जी ने उत्तर 24 परगना जिले के श्यामनगर इलाके में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘परसों (शनिवार को), एक रैली में मैंने कुछ टिप्पणियां की थीं। राज्यपाल ने दावा किया कि मैंने हद पार कर दी। राज्य के लोग बखूबी वाकिफ हैं कि कौन हद पार कर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने कहा था कि न्यायपालिका में 99 प्रतिशत लोग अच्छे हैं, सिर्फ एक प्रतिशत लोग उन लोगों के निर्देशों पर काम करते हैं, जिनके पास सत्ता का नियंत्रण है…यह एक प्रतिशत लोग हर जगह हैं, यहां तक कि राजनीतिक दलों में भी।’’
सीबीआई जांच का आदेश देने को लेकर
बनर्जी ने शनिवार को, राज्य में हर मामले में सीबीआई जांच का आदेश देने को लेकर ‘‘न्यायपालिका के एक प्रतिशत हिस्से की’’ आलोचना की थी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे किसी फैसले की आलोचना करने का अधिकार है। यदि किसी फैसले में कहा जाता है कि हत्या के मामले में कोई प्राथमिकी नहीं होगी, तो यह सही है या गलत है? यदि मैं न्यायपालिका के बारे में कुछ कहता हूं, राज्यपाल इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। इससे सिर्फ यह साबित होता है कि (मेरी) टिप्पणियों ने सही जगह पर वार किया है। न्यायपालिका का मैं पूरा सम्मान करता हूं। ’’
प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया
धनखड़ ने बनर्जी की टिप्पणियों पर रविवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया था कि राज्य में संवैधानिक प्राधिकारियों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी ने सीबीआई जांच का आदेश देने को लेकर न्यायपालिका की आलोचना कर हद पार कर दी।
तृणमूल कांगेस भी न्यायपालिका पर अपने राष्ट्रीय महासचिव की टिप्पणी के बचाव में सोमवार को उतर आई और कहा कि यह अदालत की अवमानना नहीं है। तृणमूल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि कोई भी न्यायपालिका के बारे में बोल सकता है।
ममता बनर्जी की मंत्रिपरिषद की सदस्य भट्टाचार्य ने
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मंत्रिपरिषद की सदस्य भट्टाचार्य ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “अभिषेक बनर्जी ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था, जो अदालत की अवमानना के समान हो। उन्होंने न्यायपालिका के बारे में बात की। कोई भी न्यायपालिका के बारे में बात कर सकता है। एक कहावत है कि न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए।” 
न्यायपालिका कुख्यात एसएससी घोटाला समेत हर मामले में जांच का जिम्मा सीबीआई 
हालांकि, धनखड़ इस तर्क से सहमत होते नजर नहीं आए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘डायमंड हार्बर के सांसद द्वारा न्यायपालिका पर निशाना साधने (कि न्यायपालिका कुख्यात एसएससी घोटाला समेत हर मामले में जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप रही है) के संबंध में मुख्य सचिव को सभी अपेक्षित कार्रवाई शुरू करनी है और इस बारे में छह जून तक अवगत कराना है। इन टिप्पणियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’’ धनखड़ द्वारा मुख्य सचिव को लिखे पत्र को राज्यपाल के ट्विटर हैंडल पर अपलोड किया गया है। इसमें धनखड़ ने कहा है कि सांसद ने अपने आरोपों के माध्यम से ‘‘न्यायपालिका को बदनाम किया, न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया और कानून के शासन के प्रति अनादर की भावना को प्रदर्शित किया है।’’
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