‘भगवान’ मरीज के द्वार
जीवन में बीमारी और मुसीबत कब आ जाए कोई नहीं जानता। एक बात स्पष्ट है कि अगर समय पर पता लग जाए तो बीमारी का इलाज सम्भव है और मुसीबत को भी टाला जा सकता है
02:41 AM Oct 16, 2022 IST | Kiran Chopra
जीवन में बीमारी और मुसीबत कब आ जाए कोई नहीं जानता। एक बात स्पष्ट है कि अगर समय पर पता लग जाए तो बीमारी का इलाज सम्भव है और मुसीबत को भी टाला जा सकता है। मैडिकल जगत में बहुत कुछ हो रहा है। नई-नई दवाएं इजाद हो रही हैं। कोरोना जैसी बीमारी को हमने विदा कर दिया तो इसके पीछे वजह यही है कि सही उपचार, रोकथाम और सही वक्त पर उपाय आधी बीमारी को खत्म कर देते हैं। इस कड़ी में हार्टअटैक की सूरत में एक बाइक एम्बुलेंस सेवा आजकल चर्चा में है। दिल्ली के एम्स के पांच किलोमीटर दायरे में अगर किसी को हार्ट से जुड़ी इमरजैंसी की जरूरत पड़ती है तो एम्बुलेंस बाइक जरूरतमंद के घर पर होगी। इस सेवा के दम पर अब तक 42 मरीजों की जान बचाई जा चुकी है, जिन्हें हार्टअटैक हुआ था और उनकी छाती में दर्द की शिकायत थी। सही वक्त पर बाइक एम्बुलैंस उनके यहां पहुंची और जो बाइक एम्बुलैंस सेवा से जुड़े लोग थे उन्होंने ही इंजैक्शन दिया और मौके पर ईसीजी जांच के बाद हार्टअटैक की पहचान के बाद उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया। लेकिन हार्टअटैक के दर्द की सूरत में क्लाट बस्टर इंजैक्शन अगर लग जाए तो मरीज की जान बच जाती है। इसीलिए अब यह सेवा बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो रही है। किसी जरूरतमंद को घर पर ही ऐसी इमरजैंसी में अगर ट्रीटमैंट मिल जाए तो मैं यही कहूंगी कि घर पर भगवान ने आकर आपको ठीक कर िदया।
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बताते हैं कि अब कई और अस्पताल इस हार्ट से जुड़ी समस्या को लेकर बाइक एम्बुलैंस सेवा शुरू करने जा रहे हैं। इनमें जीबी पंत अस्पताल ने पांच किलोमीटर के दायरे में एम्स की तर्ज पर यह सेवा शुरू कर दी है। सवाल यह नहीं कि राज्य की सरकार है या केन्द्र की, लेकिन बीमार आदमी को तुरन्त दवा, उपचार और उसी वक्त मिल जाए जब उसको इसकी जरूरत होती है तो बीमारी पर जीत पा ली जाती है।
मैं स्पष्ट करना चाहूंगी कि लोगों को खुद भी जागरूक होना चाहिए कि अगर किसी किस्म की भी इमरजैंसी होती है तो अपनी खुद की डाक्टरी न करें अर्थात् छाती के दर्द के दौरान केवल बाय या बदहजमी की बात कहकर नजरंदाज न करें। क्योंकि सही वक्त पर सही जांच मैडिकल जगत में बहुत एहमियत रखता है। समय के साथ जब चीजें बदल रही हैं तो इसे स्वीकार करना चाहिए। अनेक अस्पतालों के कार्डियोलॉजी के विभाग इस दिशा में मरीज के आने पर यद्यपि बहुत तेजी से काम करते हैं लेकिन दिक्कत तब होती है जब मरीज के परिजन अटैक या छाती का दर्द होने के 14-16 घंटे बाद इन तक पहुंचे हैं, तब तक बीमारी अपना काम कर जाती है। लेकिन अगर एम्स के कार्डियोलॉजी द्वारा शुरू की गई इस बाइक एम्बुलैंस सेवा से मरीजों की जान बचाई गई है तो भविष्य में अन्य अस्पताल अब इसी दिशा में बढ़ रहे हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। बड़ी बात यह है कि यह बाइक सवार जो एम्बुलैंस सेवा से जुड़े हैं वे डाक्टरी सेवा और तकनीक से प्रशिक्षित होते हैं। इसीलिए यह टीम जोर पकड़ रही है। मेरी मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार के अलावा अन्य राज्य सरकारों से भी अपील है कि वे भी जल्दी से जल्दी और ज्यादा से ज्यादा ऐसी इमरजैंसी सेवाएं शुरू करें जो न केवल हार्टअटैक बल्कि अन्य गम्भीर मामलों से जुड़ी हों। हालांकि सब कुछ भगवान के हाथ लिखा है लेकिन उपचार सही समय पर हो जाए तो भगवान भी बीमारी को खत्म करने में अपनी कृपा दृष्टि प्रदान करते हैं। डाक्टर लोग तो पहले ही कहते हैं हम केवल इलाज कर रहे हैं ठीक तो भगवान ही करते हैं। सब उनकी कृपा पर भी निर्भर है। एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में हार्टअटैक के मामले में वे लोग मौत का शिकार बनते हैं जो अस्पताल में अटैक आने के बहुत देर बात पहुंचते हैं और ऐसे केसों की संख्या 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
कुल मिलाकर सही वक्त पर सही उपचार और सही सेवा बहुत जरूरी है। भारत तेजी से इस दिशा में आगे बढ़ रहा है और हमारा हैल्थ सेेवाओं से जुड़ा ढांचा भी मजबूत है। एम्स की तर्ज पर राज्यों में अस्पताल खुल रहे हैं लेकिन बीमार लोगों की संख्या भी बढ़ रही है, परन्तु अच्छी बात है कि उपचार और अच्छी सिर्वस का दायरा बढ़ रहा है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। मैं तो बाइक एम्बुलैंस सेवा को यही कहूंगी भगवान आपके द्वार। अर्थात् डाक्टरी सेवा से जुड़े लोग भगवान बनकर मरीज के घर पहुंचते हैं।
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