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आत्मनिर्णय सिद्धांत की एक विशेष राष्ट्र द्वारा जानबूझकर गलत व्याख्या और दुरुपयोग जारी : भारत

भारत ने ‘एनएसजीटी और डीकोलोनाइजेशन’ पर एक बयान में कहा, “आत्मनिर्णय के सिद्धांत की लगातार एक विशेष प्रतिनिधिमंडल द्वारा जानबूझकर गलत व्याख्या और दुरुपयोग जारी है।”

05:37 PM Oct 21, 2020 IST | Desk Team

भारत ने ‘एनएसजीटी और डीकोलोनाइजेशन’ पर एक बयान में कहा, “आत्मनिर्णय के सिद्धांत की लगातार एक विशेष प्रतिनिधिमंडल द्वारा जानबूझकर गलत व्याख्या और दुरुपयोग जारी है।”

भारत ने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि आत्मनिर्णय के सिद्धांत की एक विशेष राष्ट्र द्वारा ‘‘जानबूझकर गलत व्याख्या और दुरुपयोग’’ जारी है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस सिद्धांत की व्यवस्था किसी भी सदस्य देश की क्षेत्रीय अखंडता को कम करने के लिए नहीं की गयी थी।
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भारत ने ‘एनएसजीटी (नॉन सेल्फ गवर्निंग टेरिटरी) और डीकोलोनाइजेशन’ पर एक बयान में कहा, ‘‘आत्मनिर्णय के सिद्धांत की लगातार एक विशेष प्रतिनिधिमंडल द्वारा जानबूझकर गलत व्याख्या और दुरुपयोग जारी है, यह एक बार फिर स्पष्ट करने की जरूरत है कि संयुक्त राष्ट्र ने इस समिति के एजेंडे में 17 गैर-स्वशासी क्षेत्रों (एनएसजीटी) को औपनिवेशिक व्यवस्था से मुक्त करने के लिए इसकी स्थापना की है, किसी सदस्य देश की क्षेत्रीय अखंडता को कम करने के औचित्य से नहीं।’’
भारत ने कहा कि यह दृढ़ता से इस बात पर विश्वास करता है कि औपनिवेशिक व्यवस्था की समाप्ति के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण का अनुसरण करने से निश्चित रूप से एनएसजीटी के लोगों की वैध इच्छाओं की पूर्ति होगी। बयान में कहा, ‘‘ हमें अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भूमिका अदा करने वालों के बीच सहयोग बढ़ाना चाहिए और 17 एनएसजीटी के लिए संसाधनों को दिशा देने की जरूरत है।’’ भारत ने कहा कि एक पूर्व उपनिवेश होने के नाते वह स्वतंत्रता के बाद से हमेशा उपनिवेशवाद और रंगभेद के खिलाफ संघर्ष में सबसे आगे रहा है।
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