Jharkhand News: राज्य में लागू होगी 'आंख दिखाओ, राशन पाओ' योजना, पहले फेज में 1500 दुकानों में लगेंगी मशीनें
झारखंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण के लिए नया सिस्टम लागू किया जा रहा है। दुकान में ऐसी मशीनें लगायी जायेंगी, जिसके जरिए लोगों की आंखों की रेटिना की स्कैनिंग की जायेगी। इससे रियायती दर का राशन फर्जी नाम पर बांटने की धोखाधड़ी पर रोक लग सकेगी
03:06 PM Jun 10, 2022 IST | Desk Team
झारखंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण के लिए नया सिस्टम लागू किया जा रहा है। दुकान में ऐसी मशीनें लगायी जायेंगी, जिसके जरिए लोगों की आंखों की रेटिना की स्कैनिंग की जायेगी। इससे रियायती दर का राशन फर्जी नाम पर बांटने की धोखाधड़ी पर रोक लग सकेगी। खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अगले तीन महीनों के अंदर यह नया सिस्टम प्रभावी हो जायेगा। इसका नाम इंटीग्रेटेड रिस्क इन्फॉर्मेशन सिस्टम (आईआरआईएस या आइरिश) है।योजना के पहले चरण में राज्य के 24 जिलों की 1500 दुकानों में यह सिस्टम लागू होगा।
झारखंड के पहले केरल, बिहार और ओडिशा में भी इस योजना का पायलट
इस नयी तकनीक का उद्देश्य राशन की कालाबाजारी रोकना और वास्तविक लाभान्वितों के बीच सही तरीके से रियायती दर का राशन का वितरण सुनिश्चित करना है। झारखंड के पहले केरल, बिहार और ओडिशा में भी इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट लागू किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लाभान्वितों का डेटा उनके आधार नंबर से पहली ही फीड किया जा चुका है। अब तक ई-पॉश मशीनों के जरिए लोगों के फिंगरप्रिंट के मिलान से राशन का वितरण किया जाता है। कई लोग ऐसे हैं, जिनका फिंगरप्रिंट ई-पॉश मशीन में दर्ज नहीं हो पाता और इस वजह से उन्हें राशन नहीं मिल पाता।अब आईरीश मशीन में रेटिना की स्कैनिंग होते ही राशन कार्डधारी का नाम, पता सहित सभी सूचनाएं उपलब्ध हो जायेंगी।
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ समझौता किया
इस नये सिस्टम को लागू करने के लिए विभाग की ओर से सभी जिलों के को ऑर्डिनेटर को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके लिए सरकार ने लिंकवेल टेली सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ समझौता किया है। कंपनी की ओर से उपलब्ध करायी जा रही आईरीश मशीन की कीमत की 75 प्रतिशत राशि का भुगतान एकमुश्त किया जायेगा, जबकि शेष राशि पांच-पांच प्रतिशत की किस्त में हर साल दी जायेगी।
झारखंड के पहले केरल, बिहार और ओडिशा में भी इस योजना का पायलट
इस नयी तकनीक का उद्देश्य राशन की कालाबाजारी रोकना और वास्तविक लाभान्वितों के बीच सही तरीके से रियायती दर का राशन का वितरण सुनिश्चित करना है। झारखंड के पहले केरल, बिहार और ओडिशा में भी इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट लागू किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लाभान्वितों का डेटा उनके आधार नंबर से पहली ही फीड किया जा चुका है। अब तक ई-पॉश मशीनों के जरिए लोगों के फिंगरप्रिंट के मिलान से राशन का वितरण किया जाता है। कई लोग ऐसे हैं, जिनका फिंगरप्रिंट ई-पॉश मशीन में दर्ज नहीं हो पाता और इस वजह से उन्हें राशन नहीं मिल पाता।अब आईरीश मशीन में रेटिना की स्कैनिंग होते ही राशन कार्डधारी का नाम, पता सहित सभी सूचनाएं उपलब्ध हो जायेंगी।
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ समझौता किया
इस नये सिस्टम को लागू करने के लिए विभाग की ओर से सभी जिलों के को ऑर्डिनेटर को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके लिए सरकार ने लिंकवेल टेली सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ समझौता किया है। कंपनी की ओर से उपलब्ध करायी जा रही आईरीश मशीन की कीमत की 75 प्रतिशत राशि का भुगतान एकमुश्त किया जायेगा, जबकि शेष राशि पांच-पांच प्रतिशत की किस्त में हर साल दी जायेगी।
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