श्राद्घ में पंडित से नहीं करा सकते हैं पूजा तो पितरों के लिए खुद से करें ये जरूरी काम
पितरों की आत्मा की शांति के पितृ पक्ष पर तर्पण का काम किया जाता है। ऐसा करने से मृतक की आत्मा तृप्त होती है।
07:32 AM Sep 10, 2019 IST | Desk Team
पितरों की आत्मा की शांति के पितृ पक्ष पर तर्पण का काम किया जाता है। ऐसा करने से मृतक की आत्मा तृप्त होती है। इससे परिवार पर पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है। वैसे तो श्राद्घ पक्ष में पंडितों से पूजा करावाई जाती है। लेकिन सामथयवान न होने पर आप खुद से भी कुछ उपाय कर सकते हैं।
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1.यदि आपको घर में श्राद्घ प्रक्रिया करनी है तो अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर पूजन करें।
2.तर्पण का कार्य करने के लिए खुद पर पहले गंगाजल छिड़ककर शुद्घ करें। अब आप सफेद कपड़े धारण करके अनामिका अंगुली में कुशा की अंगूठी धारण करें।
3.श्राद्घ में पितरों की तस्वीर रखने की जगह पर गाय के गोबर से लीपे। यदि आपका घर पक्का है तो आप उस स्थान पर गौ मूत्र भी छिड़क सकते हैं।
4.पूर्वज की फोटो पर सफेद फूलों की माला चढ़ाएं। हमेशा ध्यान रखें कि पितृ पक्ष पूजन में लाल फूल और कुमकुम का प्रयोग न करें।
5.पितरों की आत्मा की शांति के लिए हवन करें। इसमें शुद्घ देसी घी,आम की लकडिय़ां और हवन सामग्री डाल लें। हवन की अग्नि में आप पितरों को दूध,दही,घी,तिल और खीर भी अर्पण करें।
6.श्राद्घ की पूजा के लिए आप हाथ में कुश तिल और जल लेकर दक्षिण की ओर मुंह कर लें और उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए संकल्प करें।
7.पूर्वजों के लिए बनाएं गए हुए खाने में पांच हिस्से जरूर करें। इसमें आप एक गाय,कुत्ता,कौआ,चींटी और देवता का भाग होगा।
8.तपर्ण के दिन एक-तीन या इससे अधिक ब्राम्हणों को भोजन करवाएं। अगर ब्राम्हण घर न आएं तो आप किसी मंदिर में जाकर उनका हिस्सा दें आएं।
9.मान्यता है कि पितरों की संतुष्टि के लिए पिंडदान काफी ज्यादा जरूरी है। पिंडदान में आप पके चावल,आटा,घी एंव तिल को मिलाकर उसके पांच पिंड बना लें। श्राद्घ क्रिया पुरुषों द्वारा ही किया जाना चाहिए।
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