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RLD प्रमुख ने आजम खां की सदस्यता रद्द करने पर उठाए प्रश्न, कहा- बीजेपी विधायक के मामले में नरमी क्यों?

राष्‍ट्रीय लोकदल के प्रमुख और राज्‍यसभा सदस्‍य जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आजम खान की विधानसभा सदस्यता निरस्त किये जाने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनके ‘त्वरित न्‍याय की मंशा’ पर सवाल उठाया है।

07:17 PM Nov 01, 2022 IST | Desk Team

राष्‍ट्रीय लोकदल के प्रमुख और राज्‍यसभा सदस्‍य जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आजम खान की विधानसभा सदस्यता निरस्त किये जाने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनके ‘त्वरित न्‍याय की मंशा’ पर सवाल उठाया है।

राष्‍ट्रीय लोकदल (RLD) के प्रमुख और राज्‍यसभा सदस्‍य जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी (SP) के नेता मोहम्मद आजम खान की विधानसभा सदस्यता निरस्त किये जाने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनके ‘त्वरित न्‍याय की मंशा’ पर सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा है कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है?
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विधानसभा अध्यक्ष को 29 अक्टूबर को जयंत चौधरी के लिखे गये पत्र की प्रति मंगलवार को RLD ने मीडिया के लिए जारी की।अध्यक्ष को संबोधित पत्र में जयंत चौधरी ने लिखा है ” विशेष MP-MLA कोर्ट में नफरती भाषण मामले में आपके कार्यालय द्वारा त्वरित फैसला लेते हुए समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आजम खान की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गयी है।”उन्‍होंने आगे कहा ” जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की यद्यपि प्रशंसा की जानी चाहिए, किंतु पूर्व में घटित हुए ऐसे ही मामले में आप निष्क्रिय नजर आते हैं, तो आप जैसे त्वरित न्याय करने वाले की मंशा पर सवाल खड़ा होता है कि क्या कानून की व्याख्या व्‍यक्ति और व्‍यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है।”
विक्रम सैनी के मामले में नहीं करते ऐसी पहलकदमी
चौधरी ने मुजफ्फरनगर जिले के खतौली विधानसभा क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक विक्रम सैनी का उदाहरण देते हुए पत्र में कहा है कि ” इस संदर्भ में आपका ध्यान मैं खतौली (मुजफ्फरनगर) से बीजेपी  विधायक विक्रम सैनी के प्रकरण की ओर आकृष्ट करना चाहूंगा, जिन्हें 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के लिए विशेष MP-MLA  कोर्ट  द्वारा 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल की सजा सुनाई गयी है। उस प्रकरण में आपकी ओर से आज तक कोई पहलकदमी नहीं की गयी है।’’चौधरी ने पत्र में कहा कि ” सवाल यह है कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है। यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा, जब तक आप बीजेपी  विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसी पहलकदमी नहीं करते।”उन्‍होंने उम्‍मीद जताते हुए कहा है कि ” आशा है कि आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए न्‍याय की स्‍वस्‍थ परंपरा के लिए विक्रम सैनी के प्रकरण में शीघ्र ही कोई ऐसा निर्णय अवश्‍य लेंगे जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक सा होता है, भिन्‍न-भिन्‍न नहीं।”
आजम खां को तीन साल कैद की सुनाई थी सजा 
गौरतलब है कि भड़काऊ भाषण मामले में तीन वर्ष की सजा सुनाये जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई। उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी।उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रधान सचिव प्रदीप दुबे ने मीडिया को बताया कि विधानसभा सचिवालय ने रामपुर सदर विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया है।रामपुर की MP/MLA  कोर्ट ने सपा नेता आजम खां को भड़काऊ भाषण देने के मामले में बृहस्पतिवार को दोषी करार देते हुए तीन साल कैद और 6 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार दो वर्ष या उससे अधिक की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को ऐसी सजा की तारीख से सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और जेल की सजा पूरी करने के बाद छह वर्ष तक वह अयोग्य रहेगा।
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