शिवसेना की टीम ठाकरे ने लोकसभा में बदला पार्टी का चीफ व्हिप, भावना गवली की जगह राजन विचारे हुए नामित
शिवसेना में एकनाथ शिंदे गुट के बाद अब एक बार फिर बगावत के स्वर उठते दिख रहे हैं। इस बार बगावत करते दिख रहे हैं पार्टी के सांसद..
08:44 PM Jul 06, 2022 IST | Desk Team
शिवसेना में एकनाथ शिंदे गुट के बाद अब एक बार फिर बगावत के स्वर उठते दिख रहे हैं। इस बार बगावत करते दिख रहे हैं पार्टी के सांसद. उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट में बंट चुकी शिवसेना के लिए बगावत की नई रूपरेखा नई दिल्ली में तैयार हो रही है। खबरों केअनुसार शिवसेना के सांसद भी अब उद्धव ठाकरे गुट के विरोध में होते दिख रहे हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट ने सांसदों के बागी होने की संभावनाओं के बीच शिवसेना के नए व्हिप प्रमुख का नाम आगे किया है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सूचित किया कि पार्टी ने राजन विचारे को नया व्हिप प्रमुख बनाया है। इससे पहले यह जिम्मेदारी भावना गवली के पास थी।
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुटों में बंटी दिखी
बता दें कुछ दिन पहले ही शिवसेना के 30 से ज्यादा बागी विधायकों ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में भाजपा के साथ राज्य में नई सरकार का गठन किया है। नई सरकार के गठन से पहले शिवसेना उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुटों में बंटी दिखी। एक तरफ जहां उस समय के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी महाअघाड़ी सरकार को बचाने के लिए बागी विधायकों को वापस आने के लिए अल्टीमेटम दिया था वहीं दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे गुट ने बयान जारी करके उद्धव ठाकरे से नाराजगी की बात कही थी।
लोकतंत्र में हर चीज का निर्धारण बहुमत के मुताबिक होता
बागी विधायकों ने उस दौरान कहा था कि उद्धव ठाकरे ने अपने विधायकों की तुलना में कांग्रेस और एनसीपी को ज्यादा समय दिया है। हम अब इस गठबंधन के साथ नहीं रहना चाहते। एकनाथ शिंदे ने बागियों के साथ दो तिहाई से ज्यादा का आंकड़ा होने के साथ ना सिर्फ राज्य में नई सरकार बनाने का दावा किया था बिल्क उन्होंने शिवसेना पार्टी पर भी अपना दावा ठोंक दिया था। एकनाथ शिंदे गुट का कहना था कि लोकतंत्र में हर चीज का निर्धारण बहुमत के मुताबिक होता है। आज हमारे पास आंकड़े हैं इसलिए शिवसेना हमारी हुई।
हालांकि, अभी तक इस बात का फैसला नहीं हो पाया है कि आखिर शिवसेना पर किसका अधिकार होगा। क्या उद्धव ठाकरे अपने पिता द्वारा खड़ी की गई पार्टी का अधिकार अपने पास रख पाने में सफल होंगे या फिर एकनाथ शिंदे आंकड़ों के आधार पर पार्टी की कमान संभालेंगे।
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