स्कूलों में बच्चों की संख्या घटने पर दिया 90 साल की दादियों को एडमिशन
दक्षिण कोरिया में दिन-प्रतिदिन जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए लोग अपने बच्चों के साथ दूसरे देशों जैसा रुख कर रहे हैं।
09:34 AM Jun 08, 2019 IST | Desk Team
दक्षिण कोरिया में दिन-प्रतिदिन जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए लोग अपने बच्चों के साथ दूसरे देशों जैसा रुख कर रहे हैं। अब बच्चों की कमी होने की वजह से कई सारे स्कूल बंद होने की कगार पर आ गए है। इससे निजात पाने के लिए स्कूलों ने एक नया तरीका अपना लिया है।
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अब स्कूलों में उम्रदराज दादियों के एडमिशन किए जा रहे हैं जो पहले पढ़ लिख नहीं सकी। इन एडमिशन में 90 साल की मलिाएं शामिल है। वहीं दादियों का भी कहना है कि ये पल उनके जीवन का सबसे खूबसूरत पल है।
बता दें कि 1960 के दशक में दक्षिण कोरिया में महिलाओं को स्कूल नहीं जाने दिया जाता था। यहां पर हमेशा से ही लड़कों को बेहतर तालीम देने की परंपरा रही है। इसलिए इस देश की ज्यादातर महिलाओं के अशिक्षित रहने का यह बड़ी वजह थी। इसके अलावा यहां पर खेती-किसानी करने वाले परिवारों की संख्या में में भी कमी आती जा रही है। अब लोग यहां के हालात देखते हुए सिर्फ एक बच्चे की ख्वाहिश्स रख रहे हैं। यहां के नामी स्कूल वोल्डियुंग एलीमेंट्री के अनुसार 1968 में यहां 1200 बच्चे थे जो अब घटकर केवल 29 ही बाकी रह गए है। कुछ स्कूलों में दो क्लास को मिलाकर एक क्लास में ही सब बच्चों को एक साथ कर दिया गया है।
अब महिलाएं सेहत और पढाई दोनों का रख रही हैं ख्याल
84 साल की नैम तीन बच्चों की दादी है। उनका कहना है कि पढ़ा लिखा न होने की वजह से मुझे बहुत बार काफी बुरा महसूस हुआ है। मै स्कूल में पढऩे के साथ अब अपनी सेहत का भी ख्याल रखना चाहती हंू। मेरा पसंदीदा विषय गणित है और अंकों को जोडऩा और घटाना मुझे काफी अच्छा लगता है। वहीं 70 साल की यूंग-ए कहना है कि मेरी दादी कभी नहीं चाहती थी कि मैं कभी स्कूल भी जाऊं। मेरी पढ़ाई को लेकर हमेशा ही विवाद रहता था। लेकिन अब ये मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत पलों में से एक है।
पढ़ाई में दादियां बच्चों से ज्यादा समझदार हैं
बता दें कि क्लास में दादियों के साथ में पढ़ रहा 8 साल का छोटा बच्चा जिसका नाम किम सियूंग हैं। उन्हें कोरियाई भाषा से जुड़े कई शब्दों को दादियों को सिखाता है। उसका कहना है कि अगर दादियों ने स्कूल आना बदं कर दिया तो मुझे बहुत दुख होगा। वहीं एक स्कूल की मेडम का कहना है कि जब पहली बार बुजुर्ग महिलाएं क्लास में आई तो मैं नर्वस हो गई थी। उनकी मेहनत ने ये साबित किया है कि यह कितना सुखद पल है। क्योंकि ये सभी दादियां छोटे बच्चों से पढऩे में ज्यादा समझदार हैं।
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