कोरोना के मरीजों के लिए WHO ने की दो दवाओं की सिफारिश, कहा-ओमिक्रॉन पर वैक्सीन सहित अन्य उपाय बेअसर
विश्व में बढ़ते कोरोना महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के एक पैनल ने कोविड से संक्रमित मरीजों के उपचार और ओमिक्रॉन के प्रसार पर रोक लगाने के लिए
02:38 PM Jan 14, 2022 IST | Desk Team
विश्व में बढ़ते कोरोना महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के एक पैनल ने कोविड से संक्रमित मरीजों के उपचार और ओमिक्रॉन के प्रसार पर रोक लगाने के लिए एली लिली और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन एवं वीर बायोटेक्नोलॉजी के दवाओं का इस्तेमाल किए जाने की सिफारिश की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस वक्त दुनिया के 149 देशों में कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन पर वैक्सीन सहित कई तरह के उपाय बेअसर साबित हो रहे हैं। कई देशों में डेल्टा वेरिएंट की जगह ऑमिक्रोन ले चुका है। ऐसे में सरकारें और वैज्ञानिक इससे निजात पाने के लिए तमाम तरह के परीक्षणों, प्रतिबंधों और दवाइयों में उलझे हुये हैं।
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इन दवाओं का दिया है सुझाव
डब्ल्यूएचओ ने कॉर्टिकोस्टेरॉइड के संयोजन से ओलुमिएंट ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले लिली के बारिसिटिनिब का इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के उपचार के लिए सुझाया है। इसके अलावा, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन एवं वीर बायोटेक्नोलॉजी के एंटीबॉडी थेरेपी को उन मरीजों के लिए उपयोगी बताया गया है, जिनकी हालत गंभीर नहीं है, लेकिन आगे चलकर उनके अस्पताल में भर्ती होने की संभावना अधिक जताई गई है।
परीक्षण में पायी गई प्रभावशाली
कोरोना से लड़ने के लिए अभी जीएसके-वीर की एक मात्र मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी प्रयोगशाला परीक्षणों में ओमिक्रॉन के खिलाफ प्रभावशील दिखाई दिया है, जबकि इस तरह के परीक्षणों में एली लिली एंड कंपनी (एलएलवाई.एन) और रेजेनरॉन फार्मास्यूटिकल्स (आरईजीएन.ओ) की दवाओं ने अभी उतना असर नहीं दिखाया है।
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