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383 करोड़ की लागत से आदिवासियों के लिए बनेंगे 11 नए आवासीय विद्यालय : सुशील मोदी

कल्याण आश्रम जो 1952 से जंगल-पहाड़ के दुरूह इलाके में वनवासियों के बीच लगातार काम कर रहा है, उसे समाज के अन्य तबकों को भी सहयोग करना चाहिए।

08:43 PM Dec 26, 2018 IST | Desk Team

कल्याण आश्रम जो 1952 से जंगल-पहाड़ के दुरूह इलाके में वनवासियों के बीच लगातार काम कर रहा है, उसे समाज के अन्य तबकों को भी सहयोग करना चाहिए।

पटना : बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स के सभागार में आयोजित ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ के स्थापना दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए पूर्व से संचालित 20 आवासीय विद्यालयों के अलावा 383.73 करोड़ की लागत से 11 नए आवासीय विद्यालय बनाये जायेंगे।

7 छा़त्रावासों के अलावा 13.72 करोड़ की लागत से आदिवासी छात्रों के लिए 5 नए छात्रावास के निर्माण का निर्णय लिया गया है। थरूहट क्षेत्र विकास योजना के तहत विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन पर अब तक 35.77 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं तथा 2018-19 के लिए 27.61 करोड़ के प्रावधान के साथ 5 नए आवासीय विद्यालय की स्वीकृति दी गयी है। पश्चिम चम्पारण के थरूहट और जमुई में 34.83 करोड़ की लागत से एकलव्य मॉडल स्कूल खोला जाएगा।

श्री मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत बीपीएससी पीटी उत्तीर्ण एसटी समुदाय के 11 और यूपीएससी पीटी उत्तीर्ण 2 छात्रों को 1-1 लाख व 50-50 हजार की सहायता दी गयी है। मेधावृति योजना के तहत कुल 7,440 एसटी छात्रों को मैट्रिक प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण को 10 हजार, द्वितीय श्रेणी को 8 हजार, इंटर प्रथम श्रेणी को 15 हजार व द्वितीय श्रेणी को 10 हजार रुपये दिए गए हैं। छात्रावास अनुदान योजना के अन्तर्गत कल्याण छात्रावास में रहने वाले 580 आदिवासी छात्र-छात्राओं को प्रति महीने 1-1 हजार रुपये तथा 15 किलो अनाज की आपूर्ति की गई है।

उन्होंने कहा कि झारखंड के अलग होने के बाद 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में आदिवासियों की संख्या 13.36 लाख हैं जो राज्य की कुल आबादी का मात्र 1.28 प्रतिशत है। पूरे देश में इनकी आबादी करीब 11 करोड़ हैं।

इतनी बड़ी आबादी अगर समाज की मुख्यधारा से अलग और विकास से वंचित रहेगी तो देश आगे नहीं बढ़ सकता है। इसलिए वनवासी कल्याण आश्रम जो 1952 से जंगल-पहाड़ के दुरूह इलाके में वनवासियों के बीच लगातार काम कर रहा है, उसे समाज के अन्य तबकों को भी सहयोग करना चाहिए।

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