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Jharkhand Lok Sabha Elections: झारखंड में सत्तारूढ़ विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ और प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिये जाने के बाद एक दिलचस्प चुनावी परिदृश्य उभरकर सामने आया है। लोकसभा चुनाव के लिए इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) ने सात मौजूदा विधायकों को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने तीन विधायकों को उम्मीदवार बनाया है। झारखंड में कुल 14 लोकसभा सीट के लिए चुनाव होंगे। दिलचस्प बात यह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के दो मौजूदा विधायकों ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जो पार्टी के भीतर संभावित आंतरिक कलह को दर्शाता है।
Highlights:
राज्य में 13 मई से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए 2.56 करोड़ पात्र मतदाता हैं। राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन में कांग्रेस, झामुमो, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)-लिबरेशन शामिल हैं। गठबंधन के सीट बंटवारे की व्यवस्था के अनुसार, कांग्रेस सात सीट पर और झामुमो पांच सीट पर चुनाव लड़ेगी। झामुमो ने रणनीतिक रूप से अपने चार मौजूदा विधायकों को संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मैदान में उतारा है, यह कदम चुनावी सफलता के लिए क्षेत्रीय दलों की स्थापित नेताओं पर निर्भरता को दर्शाता है। शिकारीपाड़ा से विधायक नलिन सोरेन को दुमका लोकसभा सीट से, टुंडी से विधायक मथुरा महतो को गिरिडीह से, मनोहरपुर से विधायक जोबा मांझी को सिंहभूम से और बहरागोड़ा से विधायक समीर कुमार मोहंती को जमशेदपुर से उम्मीदवार बनाया गया है।
झामुको के प्रवक्ता मनोज पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘किसी विशेष सीट के लिए उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया में कई चीजें शामिल होती हैं, जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया, जीतने की क्षमता और पंचायत तथा प्रखंड स्तरीय समितियों की राय शामिल है। इन कारकों की समीक्षा के बाद उम्मीदवारों को टिकट दिए गए।’’ राजनीतिक पर्यवेक्षक और रांची विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग की पूर्व प्रमुख तुलु सरकार ने क्षेत्रीय दलों के सतर्क दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जो महत्वपूर्ण चुनावी लड़ाई में नए लोगों के मुकाबले परिचित चेहरों को प्राथमिकता देते हैं।
सरकार ने कहा, ‘‘क्षेत्रीय दल आम तौर पर अपने मौजूदा विधायकों या स्थापित नेताओं पर भरोसा करते हैं। चूंकि संसदीय चुनाव व्यापक संभावनाओं पर लड़े जाते हैं, इसलिए ऐसी पार्टियां नए चेहरे लाकर जोखिम नहीं लेना चाहतीं। इसलिए यहां झारखंड में, हम देखते हैं कि झामुमो ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने सर्वाधिक मौजूदा विधायकों को मैदान में उतारा है।’’ उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों के बीच उपयुक्त उम्मीदवारों की कमी भी एक प्रमुख कारक है।
सरकार ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में पार्टियों के पास ऐसे उम्मीदवार को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है जिनके जीतने की संभावना अधिक हो। इसलिए मौजूदा विधायक एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरे हैं क्योंकि उनके पास पहले से ही अपने-अपने क्षेत्रों में आधार है।’’
झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे ने पार्टी के भीतर किसी भी संकट से इनकार किया और उम्मीदवार चयन प्रक्रिया पर विश्वास जताया। उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी में उम्मीदवारों की कोई कमी नहीं है।’’ हालांकि, हाल के घटनाक्रम ने राजनीतिक परिदृश्य में जटिलताएं बढ़ा दी हैं। झामुमो विधायक चमरा लिंडा और लोबिन हेम्ब्रोम ने चुनिंदा निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों को चुनौती देते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। लिंडा ने लोहरदगा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, जो सीट-बंटवारे समझौते के तहत कांग्रेस को मिली है। बोरियो के विधायक हेम्ब्रोम राजमहल से अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार विजय हंसदक के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे जो मौजूदा सांसद भी हैं।
कांग्रेस ने मांडू से विधायक जय प्रकाश भाई पटेल को हजारीबाग लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है, जबकि पोरेयाहाट से विधायक प्रदीप यादव गोड्डा से चुनाव लड़ेंगे। जय प्रकाश हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लिबरेशन ने कोडरमा से विनोद कुमार सिंह बनाया उम्मीदवार। ‘इंडिया’ के एक अन्य सहयोगदी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने कोडरमा से बगोदर के विधायक विनोद कुमार सिंह पर भरोसा जताया है। इसके विपरीत भाजपा ने अपने विधायक मनीष जायसवाल को हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार के रूप में घोषित किया।