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SIA ने यासीन मलिक के 8 जगहों पर मारा छापा, 1990 कश्मीरी पंडित नर्स हत्या कांड से जुड़ा है मामला

12:31 PM Aug 12, 2025 IST | Neha Singh
1990 Kashmiri Pandit Nurse Murder

1990 Kashmiri Pandit Nurse Murder: जम्मू-कश्मीर की जांच एजेंसी (SIA) ने श्रीनगर में  8 जगहों पर छापे मारे हैं। एसआईए की टीम श्रीनगर में 8 स्थानों पर छापेमारी कर रही है, जिसमें जेल में बंद जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक ( Yasin Malik ) का आवास भी शामिल है। यह कार्रवाई 1990 में हुई एक नर्स की हत्या के सिलसिले में की गई है। मंगलवार को जानकारी सामने आई कि एसआईए हत्या के मामले में श्रीनगर में अलग-अलग स्थानों पर कई छापे मार रही है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सीआईडी की एसआईए ब्रांच टीम ने पुलिस और सीआरपीएफ के साथ मिलकर मंगलवार सुबह श्रीनगर के 8 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया है।

नर्स से दरिंदगी

27 वर्षीय सरला भट्ट ( Sarla Bhatt ) कश्मीर के पंडित परिवार से ताल्लुक रखती थीं। वह अनंतनाग जिले की रहने वाली थीं और श्रीनगर शहर के सौरा इलाके में शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईएमएस) में नर्स के रूप में कार्यरत थीं। 18 अप्रैल 1990 को एसकेआईएमएस हॉस्टल से उनका अपहरण हुआ था। नर्स के साथ कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार और यातनाएं दी गईं। 19 अप्रैल 1990 को श्रीनगर के मल्लाबाग स्थित उमर कॉलोनी में गोली के घावों के साथ उसका क्षत-विक्षत शव मिला था।

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1990 Kashmiri Pandit Nurse Murder

खुफिया एजेंसियों के एजेंट बताकर की हत्या

उस समय, श्रीनगर जिले के निगीन पुलिस स्टेशन में एफआईआर 56/1990 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया था। आरोप लगाए गए कि यह हत्या उस बड़े षड्यंत्र का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य कश्मीरी पंडित समुदाय को घाटी से बाहर भगाना था। उन्हें भारतीय खुफिया एजेंसियों के एजेंट कहकर निशाना बनाया गया था।

1990 Kashmiri Pandit Nurse Murder

लाखों कश्मीरियों ने किया था पलायन

कथित तौर पर भय और प्रशासन की ओर से उनकी जान-माल की रक्षा करने में असमर्थता के कारण घाटी से लगभग पूरा कश्मीरी पंडित समुदाय अपने घर छोड़कर जान बचाने के लिए भागने पर मजबूर हुआ था। पलायन के बाद कश्मीरी पंडितों ने भीषण गर्मी में टेंटों में शरण ली और अत्यंत दयनीय स्थिति में लगभग नए सिरे से जिंदगी शुरू की। इस बीच, उनकी ज्यादातर संपत्तियां या तो लूट ली गई थीं या जला दी गईं थीं। कुछ संपत्तियों पर जबरन कब्जा हो चुका था। जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ सालों में स्थिति नियंत्रित होने के बाद राज्य सरकार कश्मीरी पंडितों की संपत्तियों को वापस दिलाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना चला रही है। हालांकि, सरकार के प्रयासों के बावजूद आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग को छोड़कर, अधिकांश कश्मीरी पंडित दूसरी जगहों पर शरणार्थी की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं।

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