Excluisve: 2020 Delhi फिल्म बनाने के दौरान डायरेक्टर Devendra Maalviya समेत Actors को क्यों मिल रही थी जान से मारने की धमकी?
2020 Delhi Starcast: दिल्ली 2020 के दंगों पर बनी फिल्म 2020 Delhi अपनी रिलीज़ के बाद से ही लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। एक तरह जहां इस फिल्म में एक सेंसिटिव मुद्दे को उठाया गया है। वहीं दूसरी और फिल्म को बनाने वाले डायरेक्टर और इसमें काम करने वाले एक्टर्स की भी काफी सरहाना की जा रही है। हालांकि इस बात में कोई दोहराए नहीं है कि जब भी समाज को आईना दिखाने वाली फिल्में बॉक्स ऑफिस पर रिलीज़ की जाती है तो उसको लेकर विवाद भी ज़रूर देखने को मिलता है।
इसी सिलसिले में फिल्म 2020 Delhi की स्टारकास्ट, निर्देशक और लेखक देवेंद्र मालविया ,एक्टर बृजेन्द्र काला और एक्टर समर जय सिंह ने अपनी फिल्म को लेकर PunjabKesari.Com से खास बातचीत की और अपनी फिल्म से जुड़ें कुछ अनछुए पहलुओं को खुलकर सामने रखा।
2020 Delhi Starcast: सच्ची घटनाओं पर बनी फिल्म
Question: बृजेन्द्र काला जी जब आपको इस फिल्म की स्क्रिप्ट मिली तब आपके मन में पहला विचार क्या आया, जिसके वजह से आपने किरदार के लिए हाँ कहा?
Answer: बृजेन्द्र काला- मेरे मन में सबसे पहले यही आया कि यह कहानी सिर्फ 2020 के दंगों की नहीं है, बल्कि उन सच्ची घटनाओं की भी है जो सीमाओं के उस पार पाकिस्तान में हिंदू, सिख और सिंधी समुदाय के साथ हो रहे व्यवहार को दिखाती है । मेरा किरदार एक ऐसा हिंदू है जो पाकिस्तान में अपनी बेटियों को खो देता है और अपनी आंखों के आगे उनके साथ दुर्व्यवहार होता हुआ देखता है। वहीं पकिस्तान में इतना कुछ सहन करने के बाद वो भारत में शरण मांगने आता है और इस बात की गुहार लगता है कि उनकी बच्चियों को बचाया जाए।
Question: देवेंद्र मालविया जी इस फिल्म को बनाते समय आपके ज़हन में क्या चल रहा था? वहीं किस तरह इस घटना की सच्चाई दिखाया जाएं, जिससे लोग समझ सकें?
Answer:देवेंद्र मालविया- मुझे लगता है कोई भी कहानी ईमानदारी के साथ दिल से कही जाए तो वो लोगों को ज़रूर पसंद आती है। जब से सोशल मीडिया आया है मैंने काफी वीडियो देखें है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ किस तरह से अत्याचार किया जा रहा है। छोटी-छोटी नाबालिग बच्चियों का उठा लिया जाता है, जबरन उनका कन्वर्जन किया जाता है, रेप होता है, जैसे वो लड़की नहीं कोई चीज़ हो। इसी कई घटनाएं है। वहीं 2020 के दिल्ली दंगे हुए तो लगा कि अब कहानी सिर्फ सीमा पार की नहीं, हमारे समाज की भी है। इसके बाद मैंने सच्ची घटनाओं से इंस्पायर्ड एक काल्पनिक कहानी बुनी और इसे फिल्म के रूप में सामने लाने का फैसला लिया।
Samar Jai Singh: "सेंसिटिव टॉपिक है"
Question: जब आप इस तरह के कोई सेंसिटिव टॉपिक पर काम करते हो, तो क्या आपको कोई धमकियां मिलती हैं?
Answer: समर जय सिंह- जनवरी में जब ट्रेलर रिलीज हुआ था, उस समय मुझे दो फोन कॉल आए थे और धमकियां मिली थीं। लेकिन फिलहाल अभी तो ऐसे कुछ नहीं हो रहा है। लेकिन हाँ जब कोई ऐसा सेंसिटिव टॉपिक सामने लाने की कोशिश की जाती है, कुछ ऐसी सच्चाईयां जिसे छुपाया जाता है अक्सर, उन्हें उजागर करने की कोशिश की जाती है तो धमकियां मिलती है।
देवेंद्र मालविया- मुझे आप भी लोग अपमानजनक मैसेज भेजते है और धमकियां मिलती है। लेकिन जब मैंने इस फिल्म को बनाने का सोचा था तो मुझे पता था कि ऐसा होगा, जिसके लिए मैं तैयार था।
Devendra Maalviya: शाहीन बाग की घटना
Question: शाहीन बाग से निकली एक चिनगारी, जहां पर लोग प्रोटेस्ट कर रहे थे वो मुद्दा इतना बड़ा बन गया। आपने इस पर फिल्म बनाई है तो ऐसी कोई चीज़ जो इस फिल्म में लोगों को देखना बहुत ज़रूरी है?
Answer: देवेंद्र मालविया- इस फिल्म में दो घटनाओं की कहानी को जोड़कर काल्पनिक रूप में दिखाया गया है। फिल्म एक वन-शॉट फॉर्मेट में शूट की गई है। इस फिल्म की खास बात ये है कि ऐसी टेक्नोलॉजी हिंदी सिनेमा में बहुत कम देखने को मिलती है। हमने छह घंटे की घटनाओं को दो घंटे सोलह मिनट में दिखाया है। फिल्म दर्शकों को उसी माहौल में ले जाती है, जहां उन्हें महसूस होगा कि वे भी उस समय, उस परिस्थिति का हिस्सा हैं।
Question: जब भी किसी सच्ची घटना को सामने लाया जाता है तो उस पर बड़ा विवाद खड़ा होता दिखाई देता है। इस फिल्म में ऐसा क्या है जो इसे लेकर इतनी कॉन्ट्रोवर्सी हो रही है?
Answer: देवेंद्र मालविया-बिल्कुल नहीं। इस फिल्म की स्क्रिप्ट 2020 से ही लिखी जा रही थी। इंडिपेंडेंट फिल्म होने के कारण इसे बनाने में पाँच साल लगे। यह किसी भी दूसरी फिल्म का बिजनेस मॉडल नहीं, बल्कि अपनी जड़ से निकली कहानी है। वहीं मैं किसी भी सरकार का समर्थन नहीं करता है। तो मुझे नहीं पता सच दिखाने पर लोगों को इतनी प्रॉब्लम क्यों हो रही है।
फिल्म का इमोशनल सीन?
Question: इस फिल्म का ऐसा कोई सीन जिसके बाद आप काफी ज्यादा इमोशनल हो गए हो?
Answer: समर जय सिंह-फिल्म में कई सारे सीन्स ऐसे है, जहां आप सोचने पर मजबूर हो जाते है। वहीं जो इमोशंस है वो अक्सर उस टाइम पर नहीं आते। एक होता है ना जब आप कोई ऐसी फिल्म देखकर निकले है तो उसका हैंगओवर लंबे समय तक रहता है। तो मैंने जब भी इस फिल्म को ट्रायल में देखा तो हमेशा वो रहा है कि यार इस मुद्दे पर सोच और विचार विमर्श करने की जरूरत है।
तो ये वैसी फिल्म नहीं जहां आप ट्रिगर हो जाए और आप एकदम से इमोशनल फील करें। आमतौर पर कोई भी जरा सा जागरूक इंसान इस फिल्म को देखेगा तो बाद में उसके बारे में विचार करने पर मजबूर हो जायेगा। इस फिल्म के साथ ये मेरा पर्सनल एक्सपीरियंस रहा है।
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