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इराक में 39 भारतीयों की मौत : परिजनों ने पूछा - 'सरकार ने हमें अंधेरे में क्यों रखा', कैप्टन ने की सहायता देने की मांग

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12:03 PM Mar 21, 2018 IST | Desk Team

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केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि 2014 में इराक में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों की ओर से अगवा किए गए 39 भारतीय नागरिक मारे जा चुके हैं। सरकार के इस बयान पर विवाद पैदा हो गया है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि इस बारे में पहले मृतकों के परिजन को सूचित नहीं करके सरकार ने संवेदनहीनता दिखाई है।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा को बताया कि इराक के मोसुल में जून 2014 में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने 40  भारतीयों को अगवा कर लिया था, लेकिन उनमें से एक शख्स खुद को बांग्लादेश का मुस्लिम बताकर बच निकलने में कामयाब रहा। उन्होंने कहा कि बादुश के एक सामूहिक कब्र से निकलवाए गए शवों को विशेष विमान से भारत लाया जाएगा और उनके परिजन को सौंपा जाएगा। मंत्री ने कहा, ”मैंने कहा था कि मैं बगैर पुख्ता सबूत के किसी को मृत घोषित नहीं करूंगी… आज मैंने वह प्रतिबद्धता पूरी की है।”

सुषमा स्वराज ने कहा कि अभी यह नहीं पता चल सका है कि इन 39 भारतीयों को कब मारा गया, लेकिन उनके शव मोसुल के उत्तर- पश्चिम में स्थित बादुश गांव से बरामद किए गए और डीएनए जांच के जरिए उनकी पहचान की गई।सरकार ने गुरदासपुर के हरजीत मसीह के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने 39 भारतीयों का कत्ल होते देखा था। हरजीत अपहरण करने वालों के चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहे थे।

सुषमा ने इस आरोप को भी बेबुनियाद करार दिया कि सरकार ने हरजीत को परेशान किया। कांग्रेस ने 39 भारतीयों के मारे जाने पर शोक व्यक्त किया और पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सरकार को याद दिलाने की कोशिश की कि उसने ”पिछले साल हमें आश्वस्त किया था कि भारतीय जीवित हैं।”

बाद में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सुषमा से जब पूछा गया कि इन भारतीयों की मृत्यु कब हुई, इस पर उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं देते हुए सिर्फ इतना कहा कि यह अप्रासंगिक है क्योंकि आईएसआईएस के कब्जे से मोसुल शहर को आजाद कराने के बाद ही शव बरामद किए गए होंगे। पिछले साल जून में मोसुल को आईएसआईएस के कब्जे से आजाद कराया गया था। बता दें कि सुषमा ने पिछले साल संसद को बताया था कि अभी इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने उन्हें मार डाला। उन्होंने कहा था कि वह उन्हें मृत घोषित करने का पाप नहीं करेंगी।

भारतीयों के परिवार का सवाल 

मारे गए भारतीयों के परिवार के सदस्य इस दुख भरी खबर से उबरने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनका सवाल है कि आखिर केंद्र ने इन वर्षों में उन्हें अंधेरे में क्यों रखा? सुषमा स्वराज द्वारा ये सुचना मिलने के बाद पंजाब में पीड़ित परिवारों के घरों के सामने दिलदहला देने वाला दृश्य देखने को मिला। मारे गए कामगारों के कई रिश्तेदारों ने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें उनके प्रियजन के मारे जाने के बारे में आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं किया था।

मारे गये लोगों में शामिल 31 वर्षीय निशान के भाई सरवन ने निराशा के साथ कहा अब हम क्या कहें? अमृतसर के रहने वाले सरवन ने दावा किया, ”सरकार ने इन वर्षों में हमें अंधेरे में रखा।” उन्होंने बेहद उदास स्वर में कहा कि अब चार वर्ष बाद वे इस तरह का स्तब्ध करने वाला बयान दे रहे हैं।

सरवन ने कहा, ‘‘ हमने केंद्रीय मंत्री (सुषमा स्वराज) से11 से 12 बार मुलाकात की और हमें बताया गया कि उनके सूत्रों के मुताबिक लापता भारतीय जीवित हैं। वे कहते रहे हैं कि हरजीत मसी(आईएस के चंगुल से भाग निकलने में कामयाब इकलौता भारतीय) झूठा है। अगर उनके सूत्र यह बताते रहे हैं कि वे जिंदा हैं तो अचानक अब क्या हुआ। सरकार को झूठे बयान देने की बजाय यह कहना चाहिए था कि उनके पास लापता भारतीयों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।’’

कैप्टन ने की परिजनों को सहायता देने की मांग

वही, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मारे गए लोगों के परिजनों को अनुग्रह राशि तथा सभी जरूरी सहायता दिए जाने की मांग विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से की है । इस मामले में सिंह ने सुषमा को लिखा है और उनसे फोन पर भी बात की है । कैप्टन ने विदेश मंत्री से मरने वाले लोगों के परिजनो को सभी आवश्यक सहायता देने का आग्रह किया है।

विदेश मंत्री ने सिंह को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार मरने वाले लोगों के शवों को वापस लाने के लिए इंतजाम कर रही है। मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्री को बताया कि पंजाब सरकार ताबूत की व्यवस्था करेगी । उन्होंने यह भी बताया कि वह पंजाब सरकार के अधिकारियों को पीड़ितों से मिलने के आदेश दे चुके हैं ।

विपक्ष ने लिया आड़े हाथ 

सुषमा के बयान के तुरंत बाद कांग्रेस और माकपा सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने इन भारतीयों की मौत के बारे में बताने को लेकर की गई देरी पर सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि सरकार ने मृतकों के परिजन को ”झूठा दिलासा” दिया कि वे जीवित हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ”लोगों को झूठे दिलासे देना कू्रता है और बताता है कि सरकार में पारदर्शिता की कमी है।”

लोकसभा में माकपा के नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि सरकार का बयान दिखाता है कि सरकार ”संवेदनहीन और अमानवीय” है, क्योंकि उसे संसद को सूचित करने से पहले मृतकों के परिजन को इसकी सूचना देनी चाहिए थी। नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह ”अक्षम्य” है कि मृतकों के परिजन को अपने प्रियजन की मौत की खबर टीवी चैनलों के जरिए मिली।

कांग्रेस पर सुषमा का पलटवार

सुषमा ने तुरंत पलटवार करते हुए कांग्रेस पर ”घटिया राजनीति” करने का आरोप लगाया और इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने किसी को अंधेरे में नहीं रखा और न ही झूठा दिलासा दिया। कुछ विपक्षी सदस्यों और मृतकों के परिजन की ओर से की जा रही आलोचना का हवाला देते हुए सुषमा ने कहा कि उन्होंने संसदीय प्रक्रियाओं का पालन किया है। मृतकों के परिजन की शिकायत थी कि उन्हें अपने प्रियजन की मृत्यु की खबर टीवी चैनलों के जरिए मिली है। सुषमा ने कहा, ”इसके बारे में पहले सदन को सूचित करना मेरा कर्तव्य था।”

प्रधानमंत्री ने किया सुषमा का बचाव 

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक के बाद एक कर किए गए ट्वीट में कहा, ”प्रत्येक भारतीय उन लोगों के साथ दुख में शामिल है जिन्होंने मोसुल में अपने प्रियजन को खो दिया। हम शोक संतप्त परिवार के साथ एकजुट हैं और मोसुल में भारतीयों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं।”

प्रधानमंत्री ने सुषमा का बचाव करते हुए यह भी कहा कि विदेश मंत्रालय और खासतौर पर मेरी सहकर्मी सुषमा स्वराज जी और जनरल वी के सिंह जी ने मोसुल में इन भारतीयों का पता लगाने और उन्हें सुरक्षित वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार ”विदेश में हमारे भाई- बहनों की सुरक्षा” सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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