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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में उच्च हिमालयी क्षेत्र सहस्त्रताल की ट्रैकिंग पर गया पर्वतारोहियों का एक दल खराब मौसम में रास्ता भटक गया जिससे उसके चार सदस्यों की मृत्यु हो गयी तथा 18 अन्य फंस गए। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि पर्वतारोहियों को बाहर निकालने के लिए जमीनी और हवाई बचाव अभियान शुरू कर दिया गया है । उन्होंने बताया कि 4100—4400 मीटर की उंचाई पर स्थित मल्ला-सिल्ला-कुशकल्याण-सहस्त्रताल ट्रैक पर फंसे पर्वतारोहियों की तलाश एवं बचाव तथा मृत पर्वतारोहियों के शवों को निकालने के लिए वायु सेना से भी अनुरोध किया गया है । उन्होंने बताया कि इसके लिए मातली एवं हरसिल सहित अन्य हेलीपैड पर भी आवश्यक प्रबंध कर लिए गए हैं।
बिष्ट ने बताया कि इसके अलावा, जमीनी अभियान के तहत राज्य आपदा प्रतिवादन बल (SDRF) तथा वन विभाग की बचाव टीमें अलग-अलग दिशाओं से घटनास्थल की ओर रवाना कर दी गयी हैं। उन्होंने बताया कि वन विभाग की दस सदस्यों की रेकी व बचाव टीम सिल्ला गाँव से आगे पहुंच चुकी है जबकि जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से SDRF का दल तड़के टिहरी जिले के बूढ़ाकेदार की तरफ से रवाना हुआ है। खोज एवं बचाव अभियान के पर्यवेक्षण एवं विभिन्न एजेंसियों के साथ समन्वय में जुटे उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया कि एसडीआरएफ का पर्वतारोही दल भी जल्द ही देहरादून से हेलीकॉप्टर से एरियल रैकी के रवाना होगा ।
उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल उत्तरकाशी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भटवाड़ी को अलर्ट पर रखा गया है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस मातली में भी 14 बचावकर्मी और एक चिकित्सक को भी मौके की ओर रवाना किया गया है।
यदुवंशी ने बताया कि टिहरी जिला प्रशासन द्वारा भी अरदंगी हैलीपेड को अलर्ट मोड पर रखा गया है जहां एम्बुलेंस, लोक निर्माण विभाग तथा पुलिस की टीम तैनात की गई है। खोज बचाव हेतु टिहरी से भी वन विभाग, SDRF, पुलिस व स्थानीय लोगों की एक टीम मौके के लिए रवाना की जा रही है । यह टीम घनसाली के पिंस्वाड से पैदल रवाना होगी। ट्रेकिंग रूट टिहरी जिले की सीमा पर स्थित है। जिलाधिकारी बिष्ट ने बताया कि मंगलवार शाम को मिली सूचना के अनुसार, हिमालयन व्यू ट्रैकिंग एजेंसी, मनेरी का 22 सदस्यीय पर्वतारोही दल 29 मई को उत्तरकाशी से 35 किलोमीटर लंबे ट्रेक पर रवाना हुआ था जिसमें कनार्टक के 18 और महाराष्ट्र के एक पर्वतारोही तथा तीन स्थानीय गाइड शामिल थे । इस दल को सात जून तक वापस लौटना था। इसी दौरान, अंतिम शिविर से सहस्त्रताल पहुंचने के दौरान मौसम खराब होने से यह दल रास्ता भटक गया। संबंधित ट्रैकिंग एजेंसी द्वारा खोजबीन करने पर दल के चार सदस्यों की मृत्यु होने तथा अन्य के फंसे होने का पता चला।