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कृषि कानून वापस लेने की मांग के साथ छठे दौर की वार्ता में तीन केंद्रीय मंत्रियों के सामने 40 किसान नेता

मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कृषि सुधार पर तकरार का समाधान तलाशने के लिए बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के दौरान भी तीन केंद्रीय मंत्रियों के सामने 40 किसान नेता होंगे।

02:21 PM Dec 30, 2020 IST | Ujjwal Jain

मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कृषि सुधार पर तकरार का समाधान तलाशने के लिए बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के दौरान भी तीन केंद्रीय मंत्रियों के सामने 40 किसान नेता होंगे।

कृषि कानून वापस लेने की मांग के साथ छठे दौर की वार्ता में तीन केंद्रीय मंत्रियों के सामने 40 किसान नेता
मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कृषि सुधार पर तकरार का समाधान तलाशने के लिए बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के दौरान भी तीन केंद्रीय मंत्रियों के सामने 40 किसान नेता होंगे। विज्ञान-भवन में आज (बुधवार) दोपहर दो बजे होने जा रही वार्ता के लिए किसान नेता सिंघु बॉर्डर से विज्ञान भवन पहुंच चुके हैं। 
उधर, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सू़त्रों ने बताया कि आज की वार्ता में भी सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश मौजूद रहेंगे। साथ ही, वार्ता के दौरान कृषि सचिव संजय अग्रवाल और कृषि मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इससे पहले पांच दिसंबर को पांचवें दौर की वार्ता भी तीनों केंद्रीय मंत्रियों के साथ 40 किसान नेताओं ने की थी, लेकिन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर किसान नेताओं के अड़ जाने की वजह से वार्ता विफल रही। 
किसान नेता मेजर सिंह पुनावाल पूर्व की वार्ता में शामिल रहे हैं, लेकिन निजी कार्य के चलते वह आज (बुधवार) की वार्ता में शामिल नहीं होंगे। लेकिन उनका कहना है कि किसान नेता मुख्य रूप से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने की प्रक्रिया और एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने पर बात करेंगे। मेजर सिंह पुनावाल पंजाब में ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हैं। उन्होंने कहा कि उनके संगठन के दूसरे पदाधिकारी आज की बैठक में हिस्सा लेंगे, लेकिन चर्चा उन्हीं मुद्दों पर होगी जो संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से सुझाए गए हैं। 
पुनावाल ने कहा, सरकार ने पहले जो प्रस्ताव भेजा था उस पर इसलिए वार्ता करने को किसान नेता राजी नहीं हुए क्योंकि सरकार ने नये कानूनों में संशोधन की बात कर रही थी, लेकिन अब किसानों द्वारा सुझाए गए मुद्दों पर वार्ता होने जा रही है और हम उन्हीं मुद्दों पर बात करना चाहेंगे। 
किसान संगठन की ओर से वार्ता के लिए जो चार मुद्दे सुझाए गए हैं उनमें ये शामिल हैं: 
1. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्दध्निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि 
2. सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान 
3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, और 
4. किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापिस लेने (संशोधन पिछले पत्र में गलती से जरूरी बदलाव लिखा गया था) की प्रक्रिया। 
भारतीय किसान यूनियन के एक नेता ने बताया कि सरकार के साथ वार्ता के लिए किसान नेता सिंघु बॉर्डर से रवाना हो चुके हैं। देश की राजधानी दिल्ली और हरियाणा की सीमा स्थित सिंघु बॉर्डर किसान एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन का मुख्य धरना स्थल है। आंदोलनकारी किसान सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर 26 नवंबर से डेरा डाले हुए हैं। 
दिल्ली की सीमाओं पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 40 किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में चले आदोलन में शामिल किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। 

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