बच्चों की लंबाई बढ़ाने के लिए 5 असरदार योगासन
Health: आजकल माता-पिता अपने बच्चों के सही शारीरिक विकास को लेकर चिंतित रहते हैं। हाइट को लेकर फिक्र कुछ ज्यादा ही होती है। हालांकि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। कारण आनुवंशिक हो सकता है या फिर पोषण की कमी भी हो सकती है। योग एक प्रभावी और प्राकृतिक तरीका है जो बच्चों के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास में मदद कर सकता है। योगासन न केवल शरीर को लचीला बनाता है बल्कि मानसिक तौर पर भी उन्हें मजबूत बनाता है।
चक्रासन (Backbend)

'चक्र' का अर्थ है पहिया और 'आसन' का अर्थ है मुद्रा। इस आसन में शरीर को पीछे की ओर मोड़कर पहिए जैसा आकार दिया जाता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को अत्यधिक लचीला बनाता है और कमर दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। साथ ही यह पूरे शरीर को स्ट्रेच करता है और मजबूती देता है. जिससे लंबाई बढ़ने में मदद मिलती है।
ताड़ासन (Mountain Pose)

'ताड़ासन' को 'पाम ट्री पोज' या 'माउंटेन पोज' भी कहते हैं। आयुष मंत्रालय की सलाह है कि बच्चों को नियमित रूप से ताड़ासन करना चाहिए क्योंकि यह बच्चों की एकाग्रता, फोकस और शारीरिक संतुलन में सुधार करता है।
पश्चिमोत्तानासन (Seated Forward Bend)

‘पश्चिमोत्तानासन’ को 'सीटेड फॉरवर्ड बेंड' भी कहा जाता है। यह एक ऐसा योगासन है जिसमें शरीर को आगे की ओर झुकाकर रीढ़, हैमस्ट्रिंग और काल्व्स की मांसपेशियों को खींचा जाता है। यह आसन शरीर को लचीला बनाने के साथ-साथ तनाव दूर कर मानसिक शांति भी देता है। आजकल के कॉम्पटीटिव वर्ल्ड में जब बच्चे होमवर्क और कुछ विशेष करने के चक्कर में दबाव महसूस करते हैं तो ये आसन उनकी समस्याओं को हर सकता है। आयुष मंत्रालय की मानें तो ये बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इस आसन से बच्चों को एकाग्रता लाने में मदद मिलती है और तनाव कम होता है।
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धनुरासन (Bow Pose)

'धनुरासन' में शरीर की मुद्रा धनुष के जैसी होती है, जिसमें रीढ़ की हड्डी पर गहरा खिंचाव पड़ता है। यह खिंचाव रीढ़ की हड्डी को लंबा और लचीला बनाने में मदद करता है। बढ़ते बच्चों की रीढ़ के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि लचीली रीढ़ उन्हें अधिक सीधी और लंबी मुद्रा बनाए रखने में सहायता करती है।
वृक्षासन (Tree Pose)

वृक्षासन, जिसे ट्री पोज भी कहा जाता है, योग के सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय आसनों में से एक है। वृक्ष शब्द का अर्थ है पेड़। इस आसन के अभ्यास की अंतिम अवस्था में शारीरिक स्थिति एक पेड़ के आकार की बनती है। इसलिए इस आसन को वृक्षासन का नाम दिया गया है। यह आसन पैरों को मजबूती प्रदान करने और संतुलन बनाने में सहायक होता है। इसके नियमित अभ्यास से टखनों, जांघों, पिंडलियों और रीढ़ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। साथ ही कूल्हों और कमर में लचीलापन बढ़ता है। इन सभी आसनों को करने से पहले योग विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करना चाहिए। करने का सही तरीका और समय की सटीक जानकारी से ही लाभ पहुंच सकता है।
- आईएएनएस