W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

भगोड़े विजय माल्या की बढ़ीं मुसीबतें, यूके कोर्ट ने माने सीबीआई के सभी सबूत

NULL

08:59 AM Apr 28, 2018 IST | Desk Team

NULL

भगोड़े विजय माल्या की बढ़ीं मुसीबतें  यूके कोर्ट ने माने सीबीआई के सभी सबूत
Advertisement

लंदन : भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की दिक्कतें बढ़ने वाली हैं,  ब्रिटेन की कोर्ट ने माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े मामले में सीबीआई की तरफ से जमा कराए गए बहुत सारे सबूतों को स्वीकार कर लिया है अब इस मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।  माल्या (62) करीब 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्र्रिंग के मामले में भारत में वॉन्‍डेट है। पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड की ओर से प्रत्यर्पण वॉरंट पर अपनी गिरफ्तारी के बाद से वह 650,000 पाउंड की जमानत पर हैं। शुक्रवार को माल्‍या की जमानत अवधि अगली सुनवाई की तारीख 11 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी गई है।

अदालत जब अगली सुनवाई करेगी तो वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की न्यायाधीश एम्मा अर्बथनॉट के समक्ष मौखिक दलीलें दी जाएंगी। इसके बाद न्यायाधीश अगली सुनवाई में मामले पर फैसले की अपनी योजना के संकेत दे सकती हैं। इससे पहले, माल्या सुनवाई के सिलसिले में अदालत आए थे जिस दौरान सीबीआई को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली जब न्यायाधीश ने पुष्टि की कि भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गए बहुत सारे साक्ष्य स्वीकार किए जाएंगे।

माल्या ने स्थानीय वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के बाहर पत्रकारों को बताया, ‘अदालत में एक और दिन।’ आज की सुनवाई ऐसे समय में हुई जब प्रत्यर्पण पर वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के एक पिछले फैसले के खिलाफ भारत सरकार की ओर से हाईकोर्ट में की गई अपील नकार दी गई थी। साल 2000 में दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये से जुड़े मैच फिक्सिंग मामले में अहम आरोपी और भारत में वांछित संजीव कुमार चावला को दिल्ली के तिहाड़ जेल की गंभीर स्थितियों के मुद्दे पर मानवाधिकारों के आधार पर पिछले साल अक्तूबर में आरोपमुक्त कर दिया गया था। चावला को प्रत्यर्पित किए जाने पर तिहाड़ जेल में ही रखने की तैयारी थी।

जिला न्यायाधीश रेबेका क्रेन ने चावला को आरोप-मुक्त करने के अपने फैसले के लिए यूरोपीय परिषद की यातना रोकथाम समिति (सीपीटी) के निर्वाचित सदस्य और स्कॉटिश कारागार सेवा में स्वास्थ्य देखभाल मामलों के पूर्व प्रमुख डॉ.एलेन मिचेल की गवाही को आधार बनाया था। माल्या की बचाव टीम ने उन्हीं जेल विशेषज्ञों से गवाही दिलवाई , जिन्होंने न्यायाधीश अर्बर्थनॉट को मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा कि सभी भारतीय जेलों की दशा असंतोषजनक है।

पिछले साल चार दिसंबर को लंदन की अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी, जिसका मकसद माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को प्रथम दृष्टया स्थापित करना है। माल्या मार्च 2016 में भारत छोड़कर जाने के बाद ब्रिटेन में रह रहे हैं। माल्या की बचाव टीम ने दावा किया था कि उनकी कोई गलत मंशा नहीं है और भारत में उन पर निष्पक्ष तरीके से मुकदमा चलाने की संभावना नहीं है।

यदि न्यायाधीश भारत सरकार के पक्ष में फैसला देती हैं तो ब्रिटेन के विदेश मंत्री के पास माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर दस्तखत के लिए दो महीने का वक्त होगा। बहरहाल, दोनों पक्षों के पास मजिस्ट्रेट की अदालत के फैसले के खिलाफ ब्रिटेन की ऊंची अदालतों में अपील करने का हक होगा।

 

अधिक जानकारियों के लिए बने रहिये पंजाब केसरी के साथ।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Advertisement
Advertisement
×