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6th Day of Shardiya Navratri: नवरात्रि के छठे दिन ऐसे करें माँ कात्यायनी को प्रसन्न, जानें इस दिन का महत्व और सरल पूजा विधि

09:21 AM Sep 27, 2025 IST | Shweta Rajput
6th day of shardiya navratri  नवरात्रि के छठे दिन ऐसे करें माँ कात्यायनी को प्रसन्न  जानें इस दिन का महत्व और सरल पूजा विधि
6th Day of Shardiya Navratri
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6th Day of Shardiya Navratri: शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है और हर दिन देवी माँ का एक विशेष रूप पूजित होता है। नवरात्रि के छठे दिन (6th Day of Shardiya Navratri) माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। इन्हें शक्ति का छठा स्वरूप माना गया है और यह स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है।

मान्यता है कि माँ कात्यायनी की पूजा करने से साधक के सभी दोष दूर होते हैं, जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और विवाह संबंधी सभी बाधाएँ समाप्त होती हैं। कहा जाता है कि माँ कात्यायनी की साधना करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और विवाह संबंधी सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं। नवरात्रि का छठा दिन केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

6th Day of Shardiya Navratri: जानें नवरात्रि के छठे दिन का महत्व

6th Day of Shardiya Navratri
6th Day of Shardiya Navratri

माँ कात्यायनी को विवाह योग्य कन्याओं की देवी माना गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेख है कि गोपियाँ भगवान श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए यमुना तट पर माँ कात्यायनी की पूजा करती थीं। तभी से यह मान्यता प्रचलित है कि माँ कात्यायनी (6th Day of Shardiya Navratri) की साधना से विवाह संबंधी सभी समस्याएँ समाप्त होती हैं। जिन कन्याओं का विवाह लंबे समय से रुका हुआ है, उन्हें इस दिन व्रत और पूजा अवश्य करनी चाहिए।

वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने के लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ है। माँ कात्यायनी की साधना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन की नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त होती हैं। माँ कात्यायनी की पूजा करके भक्त अपने जीवन में साहस, समृद्धि और प्रेम का संचार करते हैं। इस दिन की साधना से जीवन की नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और व्यक्ति को आत्मबल प्राप्त होता है।

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Goddess Katyayani Ka Swaroop: जानें कैसा है मां कात्यायनी का दिव्य स्वरूप

Goddess Katyayani Ka Swaroop
Goddess Katyayani Ka Swaroop

नवरात्रि के छठे दिन पूजित माँ कात्यायनी को महाशक्ति का छठा रूप माना गया है। देवी भागवत और मार्कंडेय पुराण के अनुसार, महर्षि कात्यायन के घर माता का जन्म हुआ था, इसी कारण इन्हें कात्यायनी कहा जाता है। माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है। मां कात्यायनी चार भुजाओं वाली हैं। इनके दाहिने हाथ में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है, जबकि बाएँ हाथ में तलवार और कमल का पुष्प सुशोभित है।

इनका वाहन सिंह है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है। माँ का रंग सुनहरा और आभामयी है, जो भक्तों के जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है। माँ कात्यायनी का स्वरूप इस बात का प्रतीक है कि शक्ति और साहस के बिना जीवन अधूरा है। जो भी व्यक्ति ईमानदारी, दृढ़ निश्चय और सत्य के मार्ग पर चलता है, माँ उसकी सभी बाधाएँ दूर कर देती हैं।

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Goddess Katyayani Ki Puja Vidhi: जानें मां कात्यायनी की सरल पूजा विधि

Goddess Katyayani Ki Puja Vidhi
Goddess Katyayani Ki Puja Vidhi

1. स्नान और संकल्प: सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और माँ की पूजा का संकल्प लें।

2. कलश पूजन: यदि घर में कलश स्थापित है तो पहले उसकी विधिवत पूजा करें।

3. माँ का आह्वान: माँ कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र के सामने गंगाजल छिड़कें और दीपक जलाएं।

4. आसन अर्पण: देवी को पुष्प, अक्षत, चंदन और रोली अर्पित करें।

5. भोग: माँ को शहद और गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

6. मंत्र जाप:

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः

इस मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

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Shweta Rajput

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