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भारत की फार्मा निर्यात में 7.38% की बढ़ोतरी, अप्रैल-मई FY26 में पहुँचा $4.9 बिलियन

02:14 PM Jul 02, 2025 IST | Aishwarya Raj
भारत की फार्मा निर्यात में 7.38% की बढ़ोतरी, अप्रैल-मई FY26 में पहुँचा $4.9 बिलियन

भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी मजबूती साबित की है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के अप्रैल-मई के दौरान भारत का फार्मा निर्यात $4.9 बिलियन तक पहुँच गया, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 7.38% की वृद्धि दर्शाता है। यह आंकड़े फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmexcil) ने मंगलवार को जारी किए।

Pharmexcil, जो वाणिज्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत है, ने बताया कि यह वृद्धि टिकाऊ निर्माण, वैश्विक बाजारों में उपस्थिति बढ़ाने और नियामक प्रक्रियाओं को डिजिटल रूप से सुगम बनाने की रणनीतिक पहलों के चलते संभव हो पाई है।

Pharmexcil के चेयरमैन नमित जोशी ने कहा, "भारत के फार्मास्युटिकल निर्यात में लगातार साल दर साल वृद्धि हो रही है। इसमें दवा फॉर्मुलेशन और बायोलॉजिकल उत्पाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।" उन्होंने बताया कि वैश्विक मांग में वृद्धि, तकनीकी नवाचार, रणनीतिक साझेदारियाँ और आर्थिक स्थिरता जैसे कारकों ने इस ग्रोथ को समर्थन दिया है।

निर्यात का मुख्य आधार बने फॉर्मुलेशन और बायोलॉजिकल्स

दवा फॉर्मुलेशन और बायोलॉजिकल्स ने कुल फार्मा निर्यात का 75.74% हिस्सा दर्ज किया। इसके अलावा बल्क ड्रग्स और ड्रग इंटरमीडिएट्स में भी मई 2025-26 के दौरान 4.40% की बढ़त देखी गई। सबसे उल्लेखनीय वृद्धि वैक्सीन निर्यात में हुई, जो 13.64% की छलांग लगाते हुए $190.13 मिलियन तक पहुँचा। सर्जिकल आइटम्स में 8.58% और आयुष व हर्बल उत्पादों में 7.36% की वृद्धि देखी गई।

मुख्य निर्यात बाजार: अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका

भारत के फार्मा निर्यात का 76% हिस्सा नॉर्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (NAFTA) क्षेत्र, यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में जाता है। अमेरिका सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है, जहाँ मई में फार्मा निर्यात $1.7 बिलियन रहा, जो कुल निर्यात का 34.5% है और इसमें 1.5% की वृद्धि दर्ज की गई। आसियान क्षेत्र भी एक नया निर्यात गंतव्य बनकर उभरा है, जिससे भारत के बाजारों में विविधता आई है।

भारत-UK FTA से बढ़ेगी संभावनाएँ

जोशी ने बताया कि भारत और ब्रिटेन के बीच चल रही फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) वार्ताएं आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करेंगी, सस्ती दवाओं की उपलब्धता बढ़ाएँगी और विशेष रूप से CDMO (Contract Development and Manufacturing Organisation) और संयुक्त अनुसंधान क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करेंगी।भारत सरकार के ‘$1 ट्रिलियन ट्रेड टारगेट’ के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए यह प्रगति फार्मा सेक्टर के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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