For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

87 वर्षीय भीष्म पितामह तपस्वीरत्न श्री सुमति प्रकाश जी देवलोक गमन

01:54 AM Dec 06, 2023 IST | Kiran Chopra
87 वर्षीय भीष्म पितामह तपस्वीरत्न श्री सुमति प्रकाश जी देवलोक गमन

आज भारत में संस्कार संस्कृति जिंदा है तो इन्हीं संतों के कारण जो हजारों मील की पदयात्राएं करते हैं। दीक्षा-शिक्षा, संस्कारों को लोगों में बांटते हैं। गत् वर्ष मुझे नेपाल केसरी, राष्ट्र संत मानव मिलन संस्थापक डा. मणिभद्र मुनि जी महाराज ने मुझे मेरठ में एक विशाल प्रोग्राम में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया। मैं अपनी प्रिय मित्र अंजू कश्यप और कुसुम जैन के साथ वहां पहुंचीं। दोनों ही वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की ब्रांच चलाती हैं और हमारी दो ब्रांचें (हैदराबाद और सोनीपत) मानव मिलन के साथ डा. मणिभद्र मुनि के आशीर्वाद से चलती है।
जब प्रोग्राम समाप्त होने के बाद हम सभी संतों के आशीर्वचन सुनने के लिए एक कमरे में गए तो उन्होंने मेरे लिए कुर्सी लगाई तो मैंने कहा कि नहीं मैं भी सभी के साथ जमीन पर ही बैठूंगी, तभी एक रुहानी संत ने उस कमरे में प्रवेश किया जिनके चेहरे पर बहुत नूर था। बहुत बुजुर्ग संत थे, उनका आशीर्वाद लेने हमें उनके पास जाना था परन्तु वह स्वयं उठकर आए और हमें आशीर्वाद दिया वो अस्वस्थ लग रहे थे, वो राजर्षि तपस्वी रत्न गुरुदेव श्री सुमति प्रकाश जी महाराज थे। उन्होंने हमें कम शब्दों में अपना आशीर्वचन दिया तब राष्ट्र संत भद्र मुनि जी ने हमें बताया। गुरुदेव श्री सुमति प्रकाश जी 1938 में राजपूत परिवार गांव चाव जिला हमीरपुर हिमाचल प्रदेश में जन्मे और उन्होंने 1959 में महाघोर तपस्वी स्वामी श्री निहालचंद जी महाराज से दीक्षा ली। वह जैन परिवार से नहीं थे। कश्मीर से कन्याकुमारी और मुम्बई से गुजरात और कोलकाता तक की हजारों मील की पदयात्राएं करने के साथ-साथ वे विगत 50 वर्षों से तप की अराधना सहित 140 दिन का मौन तप करते रहे, 121 मुमुक्षुओं के दीक्षा मंत्र के दाता भी थे। जब मैं वापिस आई तो उनका तेजस्वी चेहरा मेरी आंखों के सामने घूमता रहा। साथ में मैं अक्सर सोचती रही कि इस दुनिया में ऐसे सच्चे संत हैं, जिनका चेहरा ही उनके तप की गाथा गाता है। क्योंकि जैन संत बनना आसान नहीं। कितना तप, त्याग है। थोड़ा सा आहार और ज्ञान के भंडार हैं यह संत। सबसे अच्छी बात मुझे यह लगती है कि कोई भी बुजुर्ग संत जैसे यह 87 वर्षीय थे तो सभी दूसरे संत मुनि उनकी देखभाल कर रहे थे। पूरे सम्मान के साथ उनकी देखरेख कर रहे थे। संत डाक्टर मणिभद्र महाराज ने बताया कि जब जैन साधु-संतों की आयु अधिक हो जाती है और वह पदयात्रा करने के योग्य नहीं रहते तो जहां उनका आखिरी चार्तुमास होता है, वहीं पर उनका स्थिरवास भी होता है। इसी कारण गुरुदेव सुमति प्रकाश महाराज जैन नगर जैन स्थानक मेरठ में तीन साल से स्थिर वास पर थे।मुझे जब कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन संदेश मिला तो मेरे मुख से यही निकला, क्या दिन चुना है उन्होंने इतना बड़ा दिन था जिस दिन उनका देवलोक गमन हुआ और सबसे बड़ी बात उन्होंने जिस स्थान पर 64 साल पहले दीक्षा ली उसी स्थान पर शरीर छोड़ा।मुझे उनके अंतिम दर्शन करने जाना था, परन्तु किसी कारण वश नहीं पहुंच सकी (मुझे आर्यसमाज वृद्धाश्रम जाना था) परन्तु मैंने वीडियो कॉल पर उनके अंतिम दर्शन किए, उनके चेहरे पर वही नूर था और ऐसे ही लग रहा था वो शांत सो रहे हैं। जिस तरह इन 87 वर्षीय संत की विदाई हुई वो देखने लायक थी, हैलीकाप्टर से फूलों की वर्षा की गई, 15 बैंड एवं 20 सेे अधिक ट्रालियां 5000 लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए संत, उनके शिष्यों संत विचक्षण मुनि जी, उदित राममुनि जी, जागृत मुनि जी, पराग मुनि जी, मनोहर मुनि जी, संयम मुनि जी 28 नवम्बर को दिल्ली करोल बाग से पैदल विहार कर 70 किलोमीटर की यात्रा करके उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे। इस कार्यक्रम का संचालन उप-प्रवर्तक श्री अभिषेक मुनि जी ने किया।चंदन की लकडिय़ों पर एक देव आत्मा परमात्मा में विलीन हो गई। नेपाल हिन्द गौरव वाचनाचार्य डा. विशाल मुनि जी महाराज साहब के सान्निध्य में परम श्रद्धेय परम पूजनीय तपस्वी रत्न राजर्षि, पूज्य गुरुदेव श्री सुमति प्रकाश जी गुणानुवाद महोत्सव श्रद्धा से सम्पन्न हुआ और डा. मणिभद्र जी नेे उस समय कहा कि वह मृत्यु को महोत्सव मनाने वाले ही सच्चे संत।कहने का भाव है संत समाज में भी अनुभवी ज्ञानों के भंडार संतों की बहुत कद्र है, सम्मान है, जो दूसरों के लिए ही जीवन जीते हैं।
भारतीय संस्कृति, संस्कारों को फैलाते हैं। मैं अपने सभी वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सदस्यों को कहूंगी उम्र एक नम्बर है इस उम्र में भी आप दूसरों के लिए मर्यादाओं में रहकर काम कर सकते हैं। अपने अच्छे विचारों को दुनिया भर में फैला सकते हैं। इस उम्र की दु:ख-तकलीफ को भूलकर दूसरों के लिए भलाई का काम करो अपने अनुभव बांटो।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Kiran Chopra

View all posts

Advertisement
×