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मथुरा में 90 बांग्लादेशी मजदूर गिरफ्तार, ईंट-भट्ठे पर करते थे काम

बांग्लादेशी मजदूरों की पहचान छुपाने का खुलासा

10:02 AM May 17, 2025 IST | IANS

बांग्लादेशी मजदूरों की पहचान छुपाने का खुलासा

मथुरा के थाना नौहझील में पुलिस ने 90 बांग्लादेशी मजदूरों को हिरासत में लिया है। ये मजदूर ईंट-भट्ठों पर काम कर रहे थे और सत्यापन के दौरान उनकी नागरिकता का पता चला। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

मथुरा के थाना नौहझील की पुलिस ने ईंट-भट्ठों पर मजदूरी कर रहे महिला-पुरुष व बच्चों सहित 90 बांग्लादेशियों को हिरासत में लिया है। सत्यापन के दौरान इनकी नागरिकता का पता चला। पुलिस उनसे पूछताछ में जुटी है। नौहझील थाना क्षेत्र में सैकड़ों ईंट-भट्ठा संचालित किए जाते हैं। इन भट्ठों पर बिहार, मध्यप्रदेश, असम सहित अन्य राज्यों के लोग मजदूर के रूप में ईंट-पताई का काम करते हैं। पिछले दिनों हुई क्राइम मीटिंग में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने मजदूरों के सत्यापन के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद ही सत्यापन का कार्य मिशन स्तर पर चलाया गया। शुक्रवार को खुफिया विभाग और पुलिस को सत्यापन के दौरान गांव खाजपुर स्थित मोदी ईंट भट्ठे की झुग्गी-झोपड़ियों में कुछ संदिग्ध मजदूर दिखे थे। पुलिस ने जब पूछताछ की तो मजदूरों ने अपना घर बंगाल बताया। लेकिन वे स्पष्ट पता नहीं बता पा रहे थे। फिर पुलिस इनके साथ सख्ती से पेश आई। इसके बाद मजदूरों ने खुद को बांग्लादेशी मुस्लिम के रूप में स्वीकार किया।

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इन बांग्लादेशी मजदूरों ने बताया कि क्षेत्र के गांव जरैलिया-सेऊपट्टी स्थित आरपीएस ईंट उद्योग पर भी उनके कुछ साथी कार्य कर रहे हैं। पुलिस को वहां भी बांग्लादेशी मिल मिले। पुलिस ने दोनों भट्ठों से 35 पुरुष, 27 महिलाएं, 28 बच्चे सहित 90 बांग्लादेशियों को हिरासत में लिया है।पूछताछ के दौरान मजदूरों ने बताया कि वे 10-15 वर्ष पहले भारत आ गए थे। यहां हरियाणा, गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली, अलीगढ़ में काम करते रहे। 6-7 महीने से यहां पताई का कार्य कर रहे हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने बताया कि पकड़े गए बांग्लादेशी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। अन्य सुरक्षा और जांच एजेंसियों को भी सूचना दी गई है।

भारत में बड़े स्तर पर बांग्लादेशी नागरिक अपनी पहचान छुपाकर अनेक राज्यों में रह रहे हैं। केंद्र सरकार बड़े स्तर पर इनकी पहचान करने का अभियान पूरे देश में चला रही है। बिहार, बंगाल, दिल्ली, असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों में बांग्लादेशी नागरिकों की बड़ी मात्रा में अपनी पहचान छुपाकर रहने का अनुमान है।

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