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लीलावती अस्पताल में 1250 करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया, हॉस्पिटल में मिले काले जादू के सबूत

लीलावती अस्पताल के ट्रस्त ने अपने पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

07:10 AM Mar 13, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat

लीलावती अस्पताल के ट्रस्त ने अपने पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

लीलावती अस्पताल में 1250 करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया  हॉस्पिटल में मिले काले जादू के सबूत

मुंबई में मशहूर लीलावती अस्पताल के ट्रस्त ने अपने पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के मौजूदा सदस्यों ने आरोप लगाया है कि पूर्व ट्रस्टियों ने 1,250 करोड़ रुपये के फंड की हेराफेरी की है।। बताया जा रहा है इसमें अधिकतर आरोपी दुबई और बेल्जियम में रहते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल परिसर में काला जादू किया जाता था और वर्तमान ट्रस्टियों के कार्यालय के नीचे उन्हें हड्डियों और मानव बालों से भरे आठ कलश मिले।

‘काला जादू’ का आरोप

अस्पताल के कार्यकारी निदेशक और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने कहा कि वर्तमान ट्रस्टियों ने कार्यभार संभालते ही एक चौंकाने वाला खुलासा किया। “कुछ कर्मचारियों ने कहा कि वर्तमान ट्रस्टियों के कार्यालय के फर्श के नीचे काले जादू की प्रथाओं से संबंधित वस्तुएं रखी गई हैं। इसलिए, गवाहों की मौजूदगी में और वीडियोग्राफी के तहत, हमने फर्श को खोदा और आठ कलश पाए। उनमें मानव अवशेष, हड्डियाँ, बाल, चावल और काले जादू में इस्तेमाल की जाने वाली अन्य वस्तुएँ थीं,” उन्होंने कहा, उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र कानून के तहत मामला दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क किया। जब पुलिस ने इनकार कर दिया, तो वे अदालत गए और उसने जांच का आदेश दिया।

जानिए क्या है पूरा मामला

लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के संस्थापक किशोरी मेहता 2002 में बीमार चल रहे थे। इलाज के लिए वे विदेश चले गए। इस दौरान उनके भाई विजय मेहता ने ट्रस्ट संभाला। आरोप है कि विजय मेहता ने दस्तावेजों की जालसाजी करके अपने बेटे और भतीजों को ट्रस्टी बना दिया और किशोरी मेहता को स्थायी ट्रस्टी से हटा दिया। 2016 में किशोरी मेहता दोबारा ट्रस्टी बने। 8 साल तक उन्होंने इसकी जिम्मेदारी संभाली। 2024 में किशोरी मेहता की मृत्यु के बाद उनके बेटे प्रशांत मेहता स्थायी ट्रस्टी बने और उन्होंने अस्पताल के फाइनेंशियल रिकॉर्ड का ऑडिट करवाया।

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Rahul Kumar Rawat

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