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Green Energy की नई गाथा: भारत में दो हाइड्रो-पंप स्टोरेज परियोजनाएँ शुरू

10:09 AM Sep 23, 2024 IST | Jiya kaushik

भारत : केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को साकार करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए महाराष्ट्र में दो नई हाइड्रो-पंप स्टोरेज परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ये परियोजनाएँ भारत के ऊर्जा परिवर्तन में सहायक होंगी और हरित ऊर्जा प्रणाली को मजबूत करेंगी।

Highlights: 

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने महाराष्ट्र में दी मंजूरी

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने हाल ही में महाराष्ट्र में दो प्रमुख हाइड्रो-पंप स्टोरेज परियोजनाओं (पीएसपी) को मंजूरी दी है। इनमें से पहली, जेएसडब्ल्यू एनर्जी लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही 1500 मेगावाट की भवाली पीएसपी है, जबकि दूसरी, टाटा पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा विकसित 1000 मेगावाट की भिवपुरी पीएसपी है। ये परियोजनाएँ न केवल देश के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेंगी, बल्कि बिजली ग्रिड की स्थिरता को भी बढ़ाएँगी।

 15 गीगावाट घंटे से अधिक भंडारण क्षमता

इन दोनों परियोजनाओं की सामूहिक भंडारण क्षमता 15 गीगावाट घंटे से अधिक होगी। बिजली मंत्रालय के अनुसार, इन पीएसपी की मंजूरी से तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण संभव होगा, जो हरित ऊर्जा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव का समर्थन करेगा। मंत्रालय ने यह भी बताया कि इन परियोजनाओं को केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), और केंद्रीय मृदा और सामग्री अनुसंधान स्टेशन (सीएसएमआरएस) से समर्थन प्राप्त हुआ है। परियोजना डेवलपर्स ने यह संकेत दिया है कि वे इन परियोजनाओं की कमीशनिंग को तेजी से पूरा करेंगे, जो 2028 तक समाप्त होने की संभावना है।

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निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका

सीईए ने इस बात पर जोर दिया है कि इन परियोजनाओं की मंजूरी भारत के ऊर्जा परिवर्तन में निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। यह एक सहयोगी ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र की ओर बढ़ने का संकेत है, जहाँ सार्वजनिक और निजी क्षेत्र एक साथ मिलकर राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। सीईए ने एक ऑनलाइन पोर्टल "जलवी-स्टोर" विकसित किया है, जिससे परियोजनाओं की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिश की जा रही है।

नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़

बिजली मंत्रालय का मानना है कि ये नई परियोजनाएँ न केवल ग्रिड की जड़ता को कम करेंगी, बल्कि पीक डिमांड के समय पर आवश्यक ऊर्जा भंडारण भी सुनिश्चित करेंगी। इस प्रकार, यह कदम भारत की नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा और एक मजबूत एवं लचीले ऊर्जा भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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