एक ऐसा स्कूल जहां हर हफ्ते बच्चे जमा करते हैं फीस, पैसे नहीं बल्कि देना होता हैं कुछ और, जान कर आप भी रह जाएंगे दंग
भारत में समय के साथ पढ़ाई का महत्व लोगों ने समझा और इसके साथ ही शिक्षण महंगा हो गया। आजकल, पेरेंट्स को अपने बच्चे को उच्च शिक्षा देना चाहते हैं तो पहले से ही धन जमा करना होगा। अब स्कूलों की लागत लाखों में पहुंच गई है। जिससे शिक्षा का महंगाई दर बढ़ चुका हैं।
03:47 PM Sep 14, 2023 IST | Nikita MIshra
शिक्षा दुनिया भर के हर बच्चे के लिए बहुत ही जरुरी और एक अभिन्न हिस्सा होती हैं। एक बच्चा केवल पढ़ लिखकर समाज के लिए कुछ कर सकेगा और इस समज में अपना योगदान दे पाएगा। जिस समाज में पढ़े-लिखे लोग रहते हैं, वहां विकास होने से कोई नहीं रोक सकता।
Advertisement

भारत में समय के साथ पढ़ाई का महत्व लोगों ने समझा और इसके साथ ही शिक्षण महंगा हो गया। आजकल, पेरेंट्स को अपने बच्चे को उच्च शिक्षा देना चाहते हैं तो पहले से ही धन जमा करना होगा। अब स्कूलों की लागत लाखों में पहुंच गई है। जिससे शिक्षा का महंगाई दर बढ़ चुका हैं।
क्या हैं स्कूल में बोतल जमा करने के पीछे की कहानी
Advertisement

असम का एक स्कूल फिलहाल सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा ही में है। इस स्कूल की पढ़ाई इतनी अच्छी है कि यहाँ अभी तक कोई ड्राप आउट रेट नहीं है। साथ ही, यहां पढ़ने वाले बच्चे खुद पैसे कमाते हैं। इस स्कूल में बच्चों को फीस के रूप में पैसे नहीं देने पड़ते जो कि यहां की खासियत हैं। वास्तव में, आज इस स्कूल में धन नहीं लिया जाता जबकि पैसे के बिना कोई काम आज के टाइम में होना लगभग मुश्किल हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि आपको यहां कोई भुगतान नहीं करना पड़ेगा। यहां फीस के रूप में प्लास्टिक की खाली बोतलें ली जाती हैं।
हर हफ्ते स्कूल में जमा करते हैं फीस
इस स्कूल में असम के ग्रामीण क्षेत्रों के सौ बच्चों को पढ़ाया जाता है। बच्चे यहां पैसों की जगह पानी की पच्चीस बोतलें रखते हैं। इस स्कूल को खोलने का विचार एक जोड़े ने दिया था, जिन्होंने बढ़ती हुई गंदगी और पढ़ाई की कमी को देखा था। परमिता और मज़ीन ने इन दोनों ही परेशानियों को हल करने के लिए एक स्कूल खोला जहां बच्चों को पढ़ाया जाएगा और उनसे इसके बदले फीस के रूप में हर हफ्ते पच्चीस प्लास्टिक की बोतलें जमा करवाई जाएगी।
स्वरोजगार करना सीखते हैं बच्चे

आज तक इस स्कूल से कोई बच्चा बाहर नहीं गया है। ये स्कूल बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ स्वरोजगार के बारे में भी शिक्षित करता है। यहां बच्चे पढ़ने के अलावा कई कलाएं (जैसे कारपेन्ट्री, गार्डनिंग) सीखते हैं और अपने पैरों पर खड़े होते हैं। स्कूल ने प्लास्टिक की बोतलों को जमा करके कई चीजें बनाई हैं। सड़क निर्माण और टॉयलेट बनाना इसमें मुख्य तौर से शामिल हैं। असम में ये स्कूल दूसरों के लिए प्रतिदिन प्रेरणा का जरिया बन रहा हैं।
Advertisement