भारत का एक ऐसा मंदिर जहां प्रसाद के तौर पर चढ़ता है मुर्गी का अंडा
इस मंदिर में अंडे का प्रसाद चढ़ाने की अनोखी परंपरा
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में एक अनोखा मंदिर है जहां श्रद्धालु प्रसाद के रूप में मुर्गी के अंडे चढ़ाते हैं। इस मंदिर में लोग बच्चों की सलामती और बीमारियों के इलाज के लिए प्रार्थना करते हैं। बाबा नागर सेन को अंडे चढ़ाने की भी प्राचीन परंपरा है। यह मेला साल में दो दिन लगता है और इन दो दिनों में मंदिर में प्रसाद के रूप में अंडे चढ़ाए जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में एक ऐसा मंदिर है जहां लोग अलग-अलग तरीकों से प्रार्थना करते हैं। फिरोजाबाद के एक गांव में स्थित इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु अपने बच्चों की सलामती की दुआ मांगने आते हैं और पूजा में पूरी और हलवा का भोग लगाया जाता है। साथ ही, जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो अंडे भी चढ़ाए जाते हैं। यह एक पुरानी परंपरा है और यहां बच्चों को होने वाली बीमारियों के अलावा अन्य समस्याओं का भी इलाज किया जाता है।
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महिलाएं अपने बच्चों की सेहत के लिए पहुंचती हैं मंदिर
फिरोजाबाद से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित गांव बिलहना में बाबा नागर सेन का प्राचीन प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। इस मंदिर के पुजारी जगन्नाथ दिवाकर ने जानकारी देते हुए बताया कि बाबा नागर सेन की पूजा करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। बाबा नागर सेन की माताएं अपने बच्चों की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं। माताएं अपने बच्चों को डायरिया आदि बीमारियों से मुक्ति दिलाने के लिए यहां लाती हैं। साथ ही जिन महिलाओं के बच्चे नहीं होते वे भी यहां आकर मन्नत मांगती हैं और मन्नत पूरी होने पर नागरसेन बाबा को भोग लगाती हैं। वैशाख माह में यहां भव्य मेले का भी आयोजन होता है
क्यों लगाया जाता है अंडा का भोग
बता दें कि पौराणिक मान्यता के मुताबिक, फिरोजाबाद के इस मंदिर में महिलाएं अपने बच्चे के सेहत और सुरक्षा के लिए अंडे का प्रसाद चढाती है. माना जाता है कि अंडे का भोग लगाने से सभी मन्नते पूरी हो जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी बच्चा बीमार पड़ता है , हम मंदिर पहुंच कर भगवान को अंडे का भोग लगाते हैं, जिससे हमारा बीमार बच्चा ठीक हो जाता है। यह पूजा कई पीढ़ियों से चलती आ रही है। महिलाओं का मानना है कि घर में सुख शांति के लिए हर साल इस मंदिर में पूजा करती है। बाबा नागर सेन को अंडे चढ़ाने की भी प्राचीन परंपरा है। यह मेला साल में दो दिन लगता है और इन दो दिनों में मंदिर में प्रसाद के रूप में अंडे चढ़ाए जाते हैं।