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Aaj Ka Panchang 25 September 2025: शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन आज, जानें शुभ और अशुभ मुहूर्त

06:29 AM Sep 25, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat

Aaj Ka Panchang: आज गुरुवार यानी 25 सितंबर 2025 का दिन अति शुभ और सकारात्मक रहने वाला है। गुरुवार को गुरुदेव और विष्णु जी की पूजा की जाती है। गुरुवार के दिन जो भी भक्त विष्णु जी की पूजा करते हैं उन्हें गुरुदोष से मुक्ति मिलती है और उनके दुखों का नाश होता है। विष्णु जी की कृपा से सभी कार्य सिद्ध होते हैं। गुरुवार का व्रत जो साधक करते हैं उन पर विष्णु जी की विशेष कृपा बनी रहती है, घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। विष्णु जी की पूजा करने से कुंडली से गुरु ग्रह का दोष दूर होता है।

तिथि: शुक्ल तृतीया

मास पूर्णिमांत: अश्विन

दिन: गुरुवार

संवत्: 2082

तिथि: तृतीया प्रातः 07 बजकर 06 मिनट तक

योग: वैधृति रात्रि 09 बजकर 54 मिनट तक

करण: गरज प्रातः 07 बजकर 06 मिनट तक

करण: वणिज सायं 08 बजकर 18 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 10 मिनट पर

सूर्यास्त: सायं 06 बजकर 15 मिनट पर

चंद्रोदय: प्रातः 08 बजकर 19 मिनट पर

चन्द्रास्त: सायं 07 बजकर 27 मिनट पर

सूर्य राशि: कन्या

चंद्र राशि: तुला

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि

अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12बजकर 37 मिनट तक

अमृत काल: प्रातः 09 बजकर 17 मिनट से प्रातः 11 बजकर 05 मिनट तक

अशुभ समय अवधि

राहुकाल: दोपहर 01 बजकर 43 मिनट से दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक

गुलिकाल: प्रातः 09 बजकर 12 मिनट से प्रातः 10 बजकर 42 मिनट तक

यमगण्ड: प्रातः 06 बजकर 11 मिनट से प्रातः 07 बजकर 41 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव स्वाति नक्षत्र में रहेंगे…

स्वाति नक्षत्र- सायं 07 बजकर 09 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: स्वतंत्र स्वभाव, लचीलापन, शिष्टाचार, बुद्धिमत्ता, आत्मसंयम, समाजप्रियता, संवेदनशीलता, शांत स्वभाव, शालीनता और आकर्षक व्यक्तित्व

नक्षत्र स्वामी: राहु देव

राशि स्वामी: शुक्र देव

देवता: पवन देव (पवन के देवता)

प्रतीक: हवा में झुकती हुई एक नई कली

गणेश मंत्र

1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

3. 'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

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