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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव पर AAP-AIMIM की नजर, क्या कांग्रेस को मिलेगी चुनौती?

गुजरात चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी (आप) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने जा रही हैं।

05:07 PM Dec 11, 2022 IST | Desk Team

गुजरात चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी (आप) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने जा रही हैं।

गुजरात चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी (आप) और ऑल इंडिया मजलि  स-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने जा रही हैं। मध्य प्रदेश में जुलाई-अगस्त में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में दोनों दलों के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में उनके बड़ा कारक बनकर उभरने की संभावना है।हालांकि, गुजरात में ‘आप’ ने सिर्फ पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की और एआईएमआईएम को कोई सीट हासिल नहीं हुई, लेकिन दोनों दलों ने कई सीटों पर खासकर, जहां अल्पसंख्यक मतदाताओं की महत्वपूर्ण मौजूदगी है, वहां कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया।गुजरात में ‘आप’ कांग्रेस के स्थान पर मुख्य विपक्षी दल का दर्जा तो हासिल कर सकी, लेकिन राज्य में 13 प्रतिशत मत प्राप्त होने से उसका राष्ट्रीय दल बनने का रास्ता जरूर साफ हो गया है।हालांकि, मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल कांग्रेस राज्य में बड़े पैमाने पर द्विध्रुवीय राजनीति का हवाला देते हुए ‘आप’ और एआईएमआईएम को ज्यादा अहम कारक नहीं मान रहे हैं।
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मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में ‘आप’ स्पष्ट रूप से एक विश्वसनीय विकल्प के तौर पर उभरना चाह रही है। पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पंकज सिंह ने मीडिया से कहा, “हम 2023 के चुनाव में निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश की जनता के सामने तीसरा विकल्प पेश करेंगे और राज्य की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।”सिंह ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में निश्चित तौर पर तीसरे राजनीतिक विकल्प के लिए जगह है, क्योंकि प्रदेश के लोग भाजपा और कांग्रेस दोनों से आजिज आ चुके हैं।असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम मध्य प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में अच्छे प्रदर्शन के बाद विधानसभा चुनावों के जरिये राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहेगी।हैदराबाद के पार्षद और मध्य प्रदेश में पार्टी मामलों के प्रभारी एआईएमआईएम नेता सैय्यद मिन्हाजुद्दीन ने कहा, “स्थानीय निकाय चुनावों में हमारे प्रदर्शन के मद्देनजर पर हम निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ना चाहेंगे, लेकिन इस संबंध में अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान लेगा।”हालांकि, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में ‘आप’ और एआईएमआईएम के प्रभाव को कमतर आंकने की कोशिश करते हुए दावा किया कि राज्य में जमीनी स्तर पर उनकी मौजूदगी नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मीडिया से कहा, “ओवैसी की पार्टी और ‘आप’ मध्य प्रदेश में हमारे सामने बिल्कुल भी चुनौती नहीं हैं। ये दोनों दल खुद को एक बड़ी ताकत के रूप में पेश करते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में जमीनी स्तर पर उनका कोई वजूद नहीं है।”पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ‘आप’ और एआईएमआईएम को भाजपा की ‘बी टीम’ बताते हुए कहा, “ओवैसी की पार्टी और ‘आप’ निश्चित रुप से भाजपा की बी टीम हैं और यह अब एक सर्वविदित तथ्य है। दोनों पार्टियां केवल उन्हीं जगहों पर चुनाव लड़ती हैं, जहां वे कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकें।”पहले ‘आप’ से संबद्ध, लेकिन वर्तमान में प्रदेश भाजपा की प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा, “मध्य प्रदेश की द्विध्रुवीय राजनीति में ‘आप’ कोई जगह नहीं बना पाएगी। हिमाचल प्रदेश की तरह वह यहां भी बुरी तरह से हारेगी।”बग्गा के मुताबिक, ‘आप’ के प्रमुख उम्मीदवार गुजरात में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने में विफल रहे। राज्य में ‘आप’ के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी सहित लगभग सभी प्रमुख नेता चुनाव हार गए।उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में ‘आप’ के पास संगठन शक्ति की कमी है और यहां तक कि पार्टी के पास प्रदेश समन्वयक भी नहीं है।
मध्य प्रदेश में इस साल जुलाई-अगस्त में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में ‘आप’ और एआईएमआईएम, दोनों ने तीसरी ताकत के रूप में दावा पेश किया था। ‘आप’ ने निकाय चुनाव में 6.3 प्रतिशत वोट हासिल किए, जबकि ओवैसी के दल से सात नगरसेवक चुने गए।प्रदेश में महापौर की 14 सीटों में से ‘आप’ ने सिंगरौली में एक सीट हासिल की, जबकि ग्वालियर और रीवा में उसके उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे। ग्वालियर में ‘आप’ को लगभग 46 हजार वोट मिले और उसने साबित कर दिया कि राज्य में उसका भी आधार है।दस साल पुरानी पार्टी ‘आप’ ने मध्य प्रदेश में पार्षद पद के लिए करीब 1,500 उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से 40 उम्मीदवार विजयी बनकर उभरे, जबकि 135-140 प्रत्याशी दूसरे स्थान रहे।‘आप’ नेताओं ने कहा कि बिना पार्टी के निशान के हुए पंचायत चुनावों में ‘आप’ समर्थित उम्मीदवारों ने जिला पंचायत सदस्यों के 10, जनपद सदस्यों के 23, सरपंच के 103 और पंचों के 250 पदों पर जीत हासिल की है।‘आप’ ने 2014 के आम चुनाव में राज्य की सभी 29 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और दो प्रतिशत मत हासिल किया था। 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में ‘आप’ को एक प्रतिशत मत मिला था, जो 2022 के स्थानीय निकाय चुनाव में बढ़कर छह प्रतिशत से अधिक हो गया।
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 127 और कांग्रेस के 96 सदस्य हैं।इस बीच, गुजरात में भाजपा की शानदार जीत से उत्साहित पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी।प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा, “गुजरात में उत्पन्न तूफान (भाजपा की जीत का) 2023 के विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश में भी प्रवेश करेगा।”
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