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AAP को हार का डर, कही विपक्ष में ना शामिल हो जाएं पार्षद

AAP को हार का डर, पार्षदों में बगावत के आसार

08:03 AM Apr 22, 2025 IST | Sagar Prasad

AAP को हार का डर, पार्षदों में बगावत के आसार

2017 यह वह वक्त था जब आम आदमी पार्टी पहली बार एमसीडी का चुनाव लड़ी थी, और एक विपक्ष के तौर पर उनका उदय हुआ था। आप एमसीडी के दूसरे चुनाव में सत्ता में आई, लेकिन अब वह सत्ता से बाहर हो गई है। आम आदमी पार्टी को एमसीडी चुनाव में हार का डर सता रहा है। पार्टी टूटने और पार्षदों के विपक्ष में शामिल होने की संभावना के चलते आप इस बार मेयर पद के लिए चुनाव नहीं लड़ रही है। जिसकी मुख्य कारण आप का निगम सत्ता का एक केंद्र बनाना था। जबकि एमसीडी एक्ट में इसका विकेंद्रीकरण किया गया है। एमसीडी के विकास कार्य ठप हो गए हैं और पार्षद भाजपा में शामिल हो रहे हैं। अगर अब बात कूड़े के पहाड़ों से निपटानें और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की करें तो वह कार्य 2 साल पहले ही हो जाने चाहिए थे। बल्कि यह कार्य सुप्रीम कोर्ट और एलजी वीके सक्सेना की मंजूरी से अब जाकर हुए हैं। यह भी एक कारण है कि आप पार्षद भाजपा में शामिल हो रहे हैं।

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2017 यह वह वक्त था जब आम आदमी पार्टी पहली बार एमसीडी का चुनाव लड़ी थी, और एक विपक्ष के तौर पर उनका उदय हुआ था। आप एमसीडी के दूसरे चुनाव में सत्ता में आई, लेकिन अब वह सत्ता से बाहर हो गई है।

इस वक्त आप को पार्टी टूटने और पार्षदों का दूसरी पार्टी में जा मिलने का डर सता रहा हैं। जिस वजह आम आदमी पार्टी इस बार मेयर पद के लिए नही लड़ रही है। जिसकी मुख्य कारण आप का निगम सत्ता का एक केंद्र बनाना था। जबकि एमसीडी एक्ट में इसका विकेंद्रीकरण किया गया है।

ठप हुआ विकास कार्य?

एमसीडी के जोनल स्तर मुश्किलों को हल करने के लिए और प्रशासनिक कार्य के लिए 12 जोन बने हैं। लेकिन बड़े प्रोजैक्ट को करने के लिए स्थायी समिति एक जैसी महत्वपूर्ण समिति है।

वहीं साफ-सफाई, पार्क, त्योहार जैसे चीजों के लिए 27 अलग-अलग तदर्थ और समिति हैं। पिछले साल उपराज्यपाल के दखल अंदाजी से वार्ड समिति के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव संपन्न हुए था। वहीं अभी तक अनौपचारिक और विशेष समितियों के साथ स्थायी समिति का गठन भी नहीं हो पाया है। जिस वजह से विकास कार्य ठप पड़ गया।

अगर अब बात कूड़े के पहाड़ों से निपटानें और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की करें तो वह कार्य 2 साल पहले ही हो जाने चाहिए थे। बल्कि यह कार्य सुप्रीम कोर्ट और एलजी वीके सक्सेना की मंजूरी से अब जाकर हुए हैं। यह भी एक कारण है कि आप पार्षद भाजपा में शामिल हो रहे हैं।

कितनों ने छोड़ा आप

बता दें कि- अब तक 15 से ज्यादा आप पार्षद भाजपा में शामिल हो चुकें हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के भी कुछ पार्षद और कांग्रेस का भी 1 पार्षद आप में शामिल हो चुका हैं।

कहा जा रहा है कि- आप को यह सक था कि इस बार चुनाव में वह नहीं जीते तो पार्षद पार्टी छोड़ सकते हैं। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी इस बार मेयर चुनाव नही लड़ेगी।

आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद 30 से ज्यादा सदन की बैठकें हुई जो हंगामे की वजह से नहीं चल पाई। इसमें ना तो एमसीडी की परेंशानी और ना ही पार्षदों को फंड न मिलने पर बात हुई। हालांकि आप की शैली ओबराय दो बार माहपौर रही पर वह भी निगम सदन को सही से नही चला पाई।

वहीं महेश कुमार भी अपने कार्यकाल में एक भी बैठक सही से नहीं चला पाए, बल्कि हालात यह हो गए कि- सदन में लात-घूसे और पानी की बोतलों से एक दूसरे पर वार किया गया।

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