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सीएम योगी से मुलाकात करेंगे एबीएपी के संत, पवित्र नदियों के पास मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने की करेंगे मांग

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के संत जल्द ही मुलाकात कर राज्य के सभी पवित्र नदियों के पांच किलोमीटर के दायरे में मांसाहारी भोजन की बिक्री और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे।

09:09 AM Sep 08, 2022 IST | Desk Team

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के संत जल्द ही मुलाकात कर राज्य के सभी पवित्र नदियों के पांच किलोमीटर के दायरे में मांसाहारी भोजन की बिक्री और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे।

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के संत जल्द ही मुलाकात कर राज्य के सभी पवित्र नदियों के पांच किलोमीटर के दायरे में मांसाहारी भोजन की बिक्री और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे। संतों ने हाल ही में हुई उस घटना की निंदा की, जिसमें कुछ लड़कों ने गंगा नदी में नाव पर सवार होकर हुक्का पार्टी की थी।
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 इस पार्टी में वीडियो में कुछ लोग चिकन खाते हुए नजर आए। हिंदू मठों के सर्वोच्च निकाय एबीएपी के संतों ने प्रयागराज में एक बैठक आयोजित करने और इस संबंध में एक कानून की मांग करते हुए एक प्रस्ताव तैयार करने का फैसला किया है।
महाकुंभ 2025 की तैयारियों पर चर्चा होगी
वही उन्होंने कहा, ‘पवित्र नदियों के पास शराब और मांसाहारी भोजन की बिक्री और खपत ने संगम तट को जुहू-चौपाटी जैसे पिकनिक स्पॉट बना दिया है।’ एबीएपी प्रमुख और श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने कहा, ‘हम 10 सितंबर को प्रयागराज में कोविड के कारण जान गंवाने वाले लोगों के लिए संगम में ‘पिंड दान’ करने जा रहे हैं। इस अवधि के दौरान, एबीएपी एक बैठक आयोजित करेगा, जिसमें महाकुंभ 2025 की तैयारियों पर चर्चा होगी और साथ ही तीर्थ स्थलों के पास स्थित पवित्र नदियों पर और उसके पास मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री, खाना पकाने और खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून बनाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया जाएगा।’
इसी के साथ उन्होंने कहा, ‘इसके बाद संतों के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा इस प्रस्ताव को प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई के अनुरोध के साथ मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा।’ संतों ने कहा कि वर्तमान में इस तरह के कृत्यों में लिप्त लोगों और लाखों लोगों की मान्यताओं का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई अलग कानून नहीं है। इसलिए, पुलिस ऐसे व्यक्तियों पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और विभिन्न समुदायों के बीच तनाव पैदा करने आदि आईपीसी की सामान्य धाराओं के तहत आरोप तय करती है।
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