W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

UAE की जॉब से हाय-तौबा! भारतीय ने खोला ऐसा राज़ जो कॉर्पोरेट के लिए बनी मुसीबत; सच जान खड़े हो जाएंगे कान

04:34 PM Nov 14, 2025 IST | Shivangi Shandilya
uae की जॉब से हाय तौबा  भारतीय ने खोला ऐसा राज़ जो कॉर्पोरेट के लिए बनी मुसीबत  सच जान खड़े हो जाएंगे कान
Advin Netto Success Story
Advertisement

Advin Netto Success Story: अक्सर जब कोई युवा नौकरी के क्षेत्र में कदम रखता है, तो दुबई उसकी पहली पसंद होता है। हर कोई सोचता है कि अगर उसे दुबई में नौकरी मिल जाए, तो बेहतर होगा, जहां टैक्स की कोई चिंता या झंझट नहीं होगी। उसे अपनी नौकरी में मज़ा आएगा और अच्छी-खासी तनख्वाह मिलेगी। लेकिन यहां कहानी कुछ अलग है। आज हम एक ऐसे भारतीय युवक के बारे में बात करेंगे जिसने सोशल मीडिया पर अपनी दुबई की नौकरी का सच शेयर किया। उन्होंने मिडिल ईस्ट में काम की सच्चाई को शेयर किया।

Advin Netto: सपने को त्याग कर वतन वापसी

Advin Netto Success Story
Advin Netto Success Story

एक भारतीय युवक ने हाल ही में अपने सपने को त्याग कर वतन वापसी का फैसला किया। हम बात कर रहे हैं प्रोडक्ट डिजानियर एडविन नेट्टो की जो मौजूदा में बेंगलुरु में गूगल कंपनी में कमा कर रहे हैं। नेट्टो ने हाल ही में अपनी कहानी सोशल मीडिया पर पोस्ट की जिसमें उन्होंने बताया कि हर माह उन्हें ₹7.5 लाख (टैक्स फ्री) मोटी रकम मिलती थी लेकिन इसके बावजूद उन्होंने छह साल पहले अपनी नौकरी छोड़ दी.

मध्य पूर्व उनके लिए सही जगह नहीं

नेट्टो ने आगे बताया कि मिडिल ईस्ट के देशों में शामिल अबू धाबी में उन्हें वर्क वीजा मिलने में 5 माह लग गए थे लेकिन काम शुरू करने के केवल तीन माह बाद ही उन्हें यह फील होने लगा था कि मध्य पूर्व उनके लिए सही जगह नहीं है। इसके पीछे की असली वजह भी उन्होंने बताई। नौकरी छोड़ने की असली वजह उन्होंने 3 कारणों को बताया।

कठोर और अनम्य वर्क कल्चर

Advin Netto Success Story
Advin Netto Success Story

एडविन के अनुसार, यूएई का काम करने का तरीका उनकी उम्मीदों से काफी अलग था। भारत में जहाँ परिणाम (Outcome) पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है, वहीं यूएई में हाजिरी (Attendance) को प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने कहा, “मुझे अपने काम की जिम्मेदारी खुद संभालने की आदत थी, लेकिन वहाँ कोई लचीलापन नहीं था। अगर मैं सुबह 9 बजे तक पंच न करूँ, तो सीधे हाफ डे लगा दिया जाता था।”

डिजिटल प्रोडक्ट कल्चर की कमी

एडविन मानते हैं कि यूएई बुनियादी ढांचे और फिजिकल डेवलपमेंट के मामले में बेहतरीन है, लेकिन डिजिटल प्रोडक्ट कल्चर अभी भी वहाँ नया और सीमित है। उन्होंने कहा, “समस्या पैसे की नहीं, मानसिकता की थी।”

योग्यता की अनदेखी और कमजोर लीडरशिप

एक और बड़ी चुनौती, जिसके कारण एडविन ने यूएई छोड़ने का फैसला किया, वह थी वहाँ की कॉर्पोरेट लीडरशिप। उनके मुताबिक, यूएई में शीर्ष पदों पर अक्सर स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे काबिल उम्मीदवारों की योग्यता दब जाती है। उन्होंने कहा, “ऐसे माहौल में किसी विषय विशेषज्ञ का आगे बढ़ पाना मुश्किल हो जाता है।”

Advin Netto Success Story: बचत के बावजूद वतन वापसी

आर्थिक रूप से यूएई एडविन के लिए बेहद फायदेमंद था। 30,000 AED (लगभग ₹7.5 लाख) की मासिक आय में से सिर्फ 10,000 AED खर्च होता था। यानी वह हर महीने करीब 20,000 AED (लगभग ₹4.5 लाख) बचा लेते थे। इसके बावजूद, काम का संतोष ना मिलना और प्रोफेशनल ग्रोथ का अभाव उन्हें भारत वापस ले आया। आज वह भारत में गूगल जैसी प्रतिष्ठित कंपनी में काम कर रहे हैं। एडविन नेट्टो की कहानी यह स्पष्ट करती है कि अच्छी सैलरी महत्वपूर्ण है, लेकिन प्रोफेशनल विकास और स्वस्थ वर्क कल्चर उसकी तुलना में कहीं ज़्यादा मायने रखते हैं।

यह भी पढ़ें:‘ठंडी में सुबह नहीं उठा जाता…’, प्रेमानंद महाराज ने बताया सुबह उठने के 3 आसान उपाय

Advertisement
Author Image

Shivangi Shandilya

View all posts

शिवांगी शांडिल्य पत्रकारिता में पिछले 2 वर्षों से सक्रिय हैं। राजनीति, विदेश, क्राइम के अलावा आद्यात्मिक खबरें लिखना पसंद हैं। गलगोटिया विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई पूरी की है। IGNOU से मास्टर ऑफ मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई जारी है। इस दौर में वेबसाइट पर लिखने का कार्य जारी है। पत्रकारिता की शुरुआत इंडिया न्यूज़ (इनखबर) से हुई, जहां बत्तौर हिन्दी सब-एडिटर के रूप में वेबसाइट पर काम किया। वर्तमान में पंजाब केसरी दिल्ली में हिन्दी सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में जन्म लेने वाली शिवांगी की शिक्षा उनके गृह जिले में ही हुई है। शिवांगी को राजनीतिक घटनाक्रम पर आलेख लिखना बेहद पसंद है।

Advertisement
Advertisement
×