16 महीने बाद फिर सज गया राम मंदिर, शुरू हुईं दरबार प्रतिष्ठा की तैयारी, जानें पूरा शेड्यूल
अयोध्या में शुरू हुआ राम मंदिर का दूसरा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
अयोध्या के राम मंदिर में 16 महीने बाद राजा राम की प्रतिष्ठा का महोत्सव शुरू हुआ। इस आयोजन में राम दरबार का शुभारंभ होगा, जिसमें श्रीराम के साथ माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान विराजमान होंगे। अन्य सात उपमंदिरों में भी देव विग्रहों की प्रतिष्ठा की जाएगी।
Ayodhya Ram Mandir News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में आज, 3 जून 2025 से दूसरा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव आरंभ हो गया है, जो आगामी 5 जून तक चलेगा. इस आयोजन के चलते पूरा मंदिर परिसर दीपों और रोशनी से सजाया गया है. पिछले साल 22 जनवरी 2024 को भगवान राम के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब लगभग 16 महीने बाद भगवान श्रीराम की प्रतिष्ठा उनके ‘राजा राम’ स्वरूप में की जा रही है. इस प्रतिष्ठा के बाद प्रथम तल पर राम दरबार का विधिवत रूप से शुभारंभ होगा. इसमें श्रीराम के साथ माता सीता, भाई लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और भक्त हनुमान विराजमान होंगे.
अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की भी प्रतिष्ठा
इस अवसर पर केवल राम राजा की नहीं, बल्कि मंदिर परिसर के अन्य सात उपमंदिरों में भी देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इन उपमंदिरों में निम्नलिखित देवताओं की मूर्तियां स्थापित होंगी:
1-परकोटा में शिवलिंग
2-अग्निकोण में श्री गणेश
3-महाबली हनुमान
4-सूर्य देव
5-मां भगवती
6-अन्नपूर्णा माता
7-शेषावतार (नाग रूप) की प्रतिमा
धार्मिक अनुष्ठानों का पूरा शेड्यूल
ऐसे में दूसरे प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शुरुआत 2 जून को सरयू तट से जल कलश यात्रा के साथ हुई, जिसमें मातृ शक्तियों ने भाग लिया. मुख्य पूजा-अनुष्ठान 3 जून को ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर 5 जून की दशमी तिथि को सम्पन्न होंगे.
5 जून को सुबह 6:30 बजे से 11:20 बजे तक विशेष पूजा-अनुष्ठान होंगे. प्रतिष्ठा का मुख्य कार्य ‘अभिजीत मुहूर्त’ में सम्पन्न होगा. इस आयोजन के मुख्य यजमान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र सपत्नीक होंगे.
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CM योगी होंगे मुख्य अतिथि
इस भव्य आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त अयोध्या के प्रसिद्ध आचार्यों पंडित प्रदीप शर्मा, आचार्य राकेश तिवारी और आचार्य रघुनाथ दास शास्त्री द्वारा निर्धारित किया गया है.